पटना: मिथिला पेंटिंग बिहार की धरोहर के रूप में जानी जाती है। सदियों से मिथिला पेंटिंग लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है। पहले कलाकार पर्व त्यौहार, भगवान समेत स्थानीय स्तर पर दिखने वाली सच्चाइयों को अपने कैनवास पर उतारते थे। मिथिला पेंटिंग में हमेशा ग्रामीण भारत और असली भारत दिखाई जाती रही है। मिथिला पेंटिंग बिहार या भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता रहा है। तभी तो आज से साठ वर्ष पहले 113 मिथिला पेंटिंग अमेरिका गई थी।
हालांकि अब बिहार संग्रहालय एक बड़ा कदम उठाने जा रही है और आज से साठ वर्ष पहले अमेरिका गई 113 मिथिला पेंटिंग को वापस ला रही है। एक जानकारी के अनुसार ये सभी मिथिला पेंटिंग दो दिनों के अंदर बिहार आ जाएगी। इन सभी मिथिला पेंटिंग को पुरातत्व की तरह रखा जायेगा। मामले में बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि पहले कलाकारों को उचित कीमत नहीं मिलती थी। उचित कीमत नहीं मिलने की वजह से जहां भी उन्हें अधिक कीमत मिलती थी वहां बेच देते थे।
उन्होंने बताया कि 1980 के दशक में डेविड नामक एक कलाकार एथनिक आर्ट फाउंडेशन नाम का एक संस्था चलाते थे। उन्होंने कई मशहूर कलाकारों के पेंटिंग खरीदे थे और उसे वे लेकर अमेरिका चले गए थे। वहां वे उसका प्रदर्शनी लगाते थे और उससे होने वाली आमदनी का हिस्सा कलाकारों को भी देते थे। लेकिन अब उनकी उम्र काफी अधिक हो गई है तो वे चाहते हैं कि ये सब पेंटिंग ऐसे जगह पर रखा जाये जहां वह सुरक्षित रह सके।
यही वजह है कि अब उन पेंटिंग को एक बार फिर बिहार लाया जा रहा है। इन सभी पेंटिंग को पुरातत्व की तरह रखा जायेगा। सभी 113 पेंटिंग बिहार संग्रहालय में लगाई जाएगी। यह पेंटिंग की प्रस्तुति बिहार की धनी सभ्यता को पहचाने में कारगर साबित होगी।
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