गया : बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने कल यानी मंगलवार की रात को 69वां फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया है। गया के कोयरीबारी के रहने वाले चंदन कुमार ने बीपीएससी 69वां परीक्षा में नौवां रैंक प्राप्त कर अपने जिले का नाम रोशन किया है। बीपीएससी परीक्षा की तैयारी के बारे में 36 वर्षीय चंदन कुमार बताया कि वह 12 साल से नौकरी करने के बावजूद इस मुकाम को हासिल किया है। शरीर के दाहिने हाथ और पांव से विकलांग होने के बाद भी उन्होंने इस परीक्षा में नौवां स्थान प्राप्त किया।
उन्होंने यह भी बताया कि साल 2012 में गया के पोस्टल डिपार्टमेंट में पहली बार चयनित हुआ था। उसके बावजूद भी इन्होंने बीपीएससी की तैयारी करना नहीं छोड़ा। चंदन कुमार ने यह भी बताया कि यह सफलता उन्हें तीसरी बार में मिली है। इससे पहले साल 2021 में बीएससी 67वीं परीक्षा में 13 नवंबर से छूट गए थे। जिसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी फिर दूसरी बार उन्होंने साल 2022 में 68वीं बीपीएससी परीक्षा में इंटरव्यू में दो नंबर से पीछे रह गए। 69वीं बीपीएससी के रिजल्ट में 9वां रैंक हासिल करके इन्होंने अपने परिवार का नाम रोशन किया। बता दें कि 36 वर्षीय चंदन कुमार मूल रूप से औरंगाबाद के कैथी सिरोगांव के रहने वाले हैं। वह उनके पिता अरुण कुमार शर्मा अपने गांव में किसानी करते हैं।
गया के सर्वेश ने BPSC में पाया दूसरा स्थान, परिवार वालों में खुशी का माहौल
बीपीएससी 69वां परीक्षा में सेकंड टॉपर गया के सर्वेश कुमार रहे। सर्वेश कुमार गया जिले के कुजापी गांव के रहने वाले कमलेश प्रसाद के मंझले पुत्र हैं। सर्वेश कुमार चौथी बार में उन्हें सफलता मिली है। इस सफलता में वह अपने माता-पिता और अपनी पत्नी को सफलता का पूरा श्रेय देते हैं। सर्वेश कुमार बिहार बोर्ड से पढ़े और बाद में बीटेक एनआईटी अगरतला से की। सर्वेश कुमार का सपना आईएएस बनने का है, लेकिन वह कहते हैं कि हमें डीएसपी के पद पर पूरी ईमानदारी कर्तव्य निष्ठा के पूर्वक काम करना है। इनके पिता कमलेश प्रसाद एक निजी स्कूल के शिक्षक है और किताब की दुकान खोले हुए हैं। जिससे उनका घर और परिवार चलता है।
गया के सर्वेश ने BPSC में पाया दूसरा स्थान, परिवार वालों में खुशी का माहौल
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वहीं डीएसपी बनने के बाद उनके माता-पिता पत्नी भाई और अन्य रिश्तेदारों में काफी खुशी का माहौल कायम है। वह अपने बेटे को सुबह-सुबह मिठाई खिलाकर आशीर्वाद दिया और शुभकामनाएं दिया। सेकंड टॉपर बने सर्वेश कुमार बताते हैं कि मेरी पढ़ाई के पीछे मेरे माता-पिता का काफी अहम रोल रहा है। मेरे पिताजी एक निजी स्कूल के शिक्षक है और एक पुस्तक की दुकान खोले हुए हैं। जैसे-तैसे अपनी मेहनत के बल पर हमें पढ़ाया लिखाया जो भी हमें जरूरत होती थी वह हमें मुहैया कराते थे। वहीं मेरी माता का भी काफी अहम रोल रहा है। साथ ही मेरी पत्नी भी काफी ख्याल रखती थी। वह कहती थी कि आप एक दिन अपने मुकाम पर जरूर हासिल करेंगे और आज हुआ सपना पूरा हो गया।
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आशीष कुमार की रिपोर्ट