गया: बिहार के Gaya में एक गांव ऐसा है जहां सालों भर चापाकल और कुआं से गर्म पानी निकलता है। पानी इतना गर्म होता है कि अगर हाथ डाल दें तो हाथ जल जाये। कुआं और चापाकल से गर्म पानी निकलने से ठंड के दिनों में लोगों को काफी अच्छा लगता है लेकिन गर्मी के दिन में बेहाल हो जाते हैं। गांव में सालों भर गर्म पानी निकलने की वजह जानने के लिए कई एक्सपर्ट आये लेकिन अब तक यह पता नहीं चल सका है कि आखिर किस वजह से सालों भर गर्म पानी निकलता है। Gaya Gaya Gaya Gaya Gaya Gaya Gaya
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यह गांव है गया का मोहड़ा गांव जहां चापाकल और कुआं से पूरे वर्ष गर्म पानी आता है। गर्म पानी आने की वजह से लोगों को ठण्ड के दिनों में परेशानी तो नहीं होती लेकिन गर्मी के दिन में गर्म पानी किसी अभिशाप से कम नहीं लगता है। मामले में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के हिसाब से बताया जाता है कि यहां जमीन के नीचे आर्कियन युग के चट्टान हैं जिसकी वजह से पानी हमेशा गर्म ही निकलता है। बताया जाता है कि आर्कियन युग के चट्टान काफी मूल्यवान होते हैं क्योंकि इसमें सोना, चांदी, सल्फर और लौह अयस्क के साथ ही कई बहुमूल्य खनिज पाए जाते हैं।
बगैर आग जलाये पक सकता है चावल
बताया जाता है कि इस गांव के चापाकल और कुओं से हमेशा ही 60 से 65 डिग्री सेल्सियस गर्म पानी आता है जिसकी वजह से उसे छूना भी मुश्किल होता है। इस गांव में 50 से 60 घर हैं जिसमें रहने वाले लोग गर्मी के दिनों में पानी रहते हुए भी पानी के लिए तरसते हैं। मामले में ग्रामीण मंटू कुमार ने बताया कि पानी इतना गर्म होता है कि उसे छूना भी मुश्किल है।
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यदि हाथ चापाकल के मुंह से गिर रहे पाने के सामने रख दिया जाये तो हाथ जल जाता है। उन्होंने बताया कि चापाकल के अपेक्षा कुओं का पानी कुछ कम गर्म होता है। बताया जाता है कि यहाँ का पानी राजगीर और तपोवन से भी अधिक गर्म है। इस पानी में बगैर आग जलाये चावल आराम से पकाया जा सकता है।
नहीं सुनते हैं जनप्रतिनिधि और अधिकारी
ग्रामीणों ने बताया कि दशकों से यह गांव गर्म पानी का दंश झेल रहा है लेकिन अब तक प्रशासनिक या राजनीतिक जनप्रतिनिधियों ने कोई सुध नहीं ली। यहां ग्रामीणों को न तो ठंडा जल मुहैया कराया जाता है और न ही आज तक किसी ने ऐसा करने का सोचा। सैकड़ों ग्रामीणों के इस समस्या के निवारण के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर ठंडा जल मुहैया कराया जा सकता है लेकिन आज तक प्रशासन या जनप्रतिनिधि ने ऐसा सोचा भी नहीं। ग्रामीणों ने बताया कि वे लोग स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक पदाधिकारी तक हजारों बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई नहीं सुनते। अब हमलोग निराश हो चुके हैं।
300 करोड़ वर्ष पुराना संपदाओं से भरा होता है चट्टान
इस संबंध में गया काॅलेज से सेवानिवृत भूगोल के प्रोफेसर रामकृष्ण प्रसाद बताते हैं कि आर्कियन युग के रूपांतरित चट्टानों के संपर्क में आने से भूमिगत जल गर्म हो जाते हैं। इस कारण ही मोहड़ा गांव में चापाकल या कुएं का पानी सालों भर गर्म निकलता है। आर्कियन युग के रूपांतरित चट्टानें 300 करोड़ वर्ष पुरानी है। गया में ऐसे कई पहाड़ी उस काल की है और आर्कियन की रूपांतरित चट्टानों में जीवों के अवशेष नहीं मिलते हैं। दुनिया भर में अधिकांश बहुमूल्य खनिज ऐसे ही चट्टानों में मिलते हैं। इन चट्टानों में बहुमूल्य संपदा सोना चांदी व लौह अयस्क जैसे गंधक आदि खनिज मिलते हैं। आर्कियन के चट्टानों के संपर्क में आने से भूमिगत जल गर्म हो जाता है।
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गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट