Wednesday, July 2, 2025

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Gumla: बंदुआ गांव में जर्जर सड़क बनी ग्रामीणों के लिए अभिशाप, एक साल से नहीं हुई मरम्मत

Gumla: जिले के डुमरी प्रखंड स्थित बंदुआ गांव में नदी के पास की मुख्य संपर्क सड़क पिछले एक साल से पूरी तरह जर्जर हो चुकी है, जिससे यहां के सैकड़ों ग्रामीण भारी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। सड़क की बदहाली ने न केवल दैनिक जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि बच्चों की शिक्षा, बीमारों की चिकित्सा सुविधा और व्यापारिक गतिविधियों को भी लगभग ठप कर दिया है।

Gumla: बरसात में सड़क बन जाती है दलदल

गांव से गुजरने वाली यह महत्वपूर्ण सड़क नदी के किनारे स्थित है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही सड़क पर कीचड़ और पानी भर जाता है। जगह-जगह गहरे गड्ढे होने के कारण यह सड़क किसी दलदल में बदल जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के दिनों में स्कूल जाने वाले बच्चों और काम पर जाने वाले मजदूरों के गिरने और फिसलने की घटनाएं आम हो गई हैं।

ग्रामीण राजू सिंह ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा “हमारे गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए, तो एंबुलेंस आने से पहले ही सड़क पर फंस जाती है। कई बार मरीजों को खटारा ट्रैक्टर या पिकअप गाड़ी में ले जाना पड़ता है, जो बेहद जोखिम भरा होता है। सड़क की हालत इतनी खराब है कि आपातकालीन स्थिति में भी सही समय पर मदद नहीं मिल पाती।”

Gumla: प्रशासन और जनप्रतिनिधि के आश्वासन बने दिखावा

गांव के जनप्रतिनिधि मुन्ना केसरी ने बताया कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी और अन्य संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में कई बार सूचित किया है। उन्होंने कहा, “कई बार टीम आई, सर्वे भी किया, लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हुआ है। हम खुद भी गांववालों के साथ मिलकर प्रशासन पर लगातार दबाव बना रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।”

Gumla: आक्रोशित ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

सड़क की बदहाली से परेशान ग्रामीणों में अब गहरा आक्रोश पनप रहा है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही सड़क की मरम्मत नहीं कराई गई, तो वे ब्लॉक मुख्यालय और जिला कार्यालय का घेराव करने को मजबूर होंगे।

Gumla: महिलाएं और स्कूली बच्चे सबसे ज्यादा परेशान

इस जर्जर सड़क से महिलाएं और छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। गांव की महिला मीना देवी ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा, “हम रोज़ नदी पार करके बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते हैं। कीचड़ में कई बार फिसल जाते हैं और हमारी चप्पलें तक कीचड़ में फंस जाती हैं। बच्चों को स्कूल भेजना भी अब एक बड़ी चुनौती बन गई है।”

सुंदरम केशरी की रिपोर्ट

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