पाकुड़ : पति–पत्नी के रिश्ते को एक बार फिर कलंकित करने का मामला सामने आया है। झारखंड के पाकुड़ जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न केवल सामाजिक व्यवस्था और पारिवारिक मूल्यों को चुनौती दी है, बल्कि लोगों को रिश्तों की नई परिभाषा पर सोचने के लिए भी मजबूर कर दिया है। यह घटना हिरणपुर थाना क्षेत्र के घागरजानी गांव की है, जहां एक पति ने अपने विवाहित जीवन का अप्रत्याशित अंत करते हुए अपनी पत्नी की शादी उसके प्रेमी से सार्वजनिक रूप से करवा दी — वह भी गांव की पंचायत के समक्ष। पूरे घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब पति को शक हुआ कि उसकी पत्नी का किसी अन्य युवक के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा है। शक धीरे-धीरे यकीन में बदल गया। फिर जो हुआ, उसने सबको चौंका दिया।
पति ने गांव की पंचायत बुलवाई, सबके सामने अपनी पत्नी की मांग का सिंदूर पोंछा, चूड़ियां तोड़ीं — जो कि हिन्दू विवाह परंपरा में ‘विधवा’ बनाए जाने का प्रतीक माना जाता है। यह एक ऐसा दृश्य था जो आम तौर पर मृत्यु के बाद देखा जाता है, लेकिन यहां पत्नी जीवित थी और पति ने स्वयं यह प्रक्रिया की। इस प्रतीकात्मक विवाह विच्छेद के बाद महिला को मंच पर उसके प्रेमी के साथ लाया गया, जो कि मात्र 21 वर्षीय युवक है। वहीं महिला की उम्र 45 वर्ष है और वह दो बच्चों की मां है। फिर दोनों की शादी पूरे रीति-रिवाज और ग्रामीण गवाहों की मौजूदगी में संपन्न कराई गई। यह विवाह समारोह भी एक तरह से अनोखा ही रहा — न ढोल-नगाड़े, न रस्में, लेकिन भावनात्मक रूप से एक बहुत बड़ा सामाजिक कदम। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, महिला और युवक के बीच कई वर्षों से प्रेम संबंध था। गांव के कुछ लोग पहले से इस संबंध को लेकर बातें कर रहे थे, लेकिन पति ने शुरुआत में कोई कदम नहीं उठाया।
जब बात खुलकर सामने आई, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई। गांव में चर्चा का विषय बन गया कि आखिर इस स्थिति से निपटा कैसे जाए। पति ने जो कदम उठाया, उसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर गांव तक दोहरी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक वर्ग इसे प्रेम की स्वतंत्रता और मानवीय संवेदनाओं के सम्मान के रूप में देख रहा है। उनका कहना है कि यदि दोनों प्रेमी वयस्क हैं और विवाह के लिए राज़ी हैं, तो उनके संबंध को सामाजिक मान्यता देना बेहतर है बनिस्बत ज़बरदस्ती रिश्तों को ढोते रहने के।
वहीं दूसरी ओर, परंपरावादी सोच रखने वाले लोग इसे सामाजिक व्यवस्था और पारिवारिक ढांचे के लिए खतरा मान रहे हैं। उनका तर्क है कि यदि इस तरह के उदाहरण आम हो गए तो समाज में रिश्तों की स्थिरता पर असर पड़ेगा और पारिवारिक ढांचा चरमरा जाएगा।
घटना का पूरा वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं — कुछ इसे झारखंड के ग्रामीण समाज में बढ़ती उदारता का प्रतीक मानते हैं, तो कुछ इसे ‘संस्कृति पर हमला’ कह रहे हैं। इस घटना ने रिश्तों की जटिलताओं और बदलते सामाजिक संदर्भों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। अब सवाल यह है कि यह घटना एक अपवाद है या आने वाले समय की नई सामाजिक सोच की झलक।
क्या यह फैसला साहसिक था या भावनात्मक पलायन? क्या यह प्रेम की जीत थी या पारिवारिक जिम्मेदारी से मुक्ति? इन प्रश्नों का उत्तर भविष्य के सामाजिक विमर्श से ही मिलेगा।