Saturday, June 21, 2025

युवराजों की सियासी दीक्षा: कहलगांव में यादव कुल के तिलक की तैयारी

- Advertisement -

रांची: झारखंड के सिंहासन पर बैठे महारथियों ने जब झारखंड के मंत्री श्रीमान संजय यादव के बेटे रजनीश यादव को “युवा आरजेडी का महासचिव” बनाकर दिल्ली-दरबार की तरफ पहला कदम बढ़वाया, तो बिहार की राजनीति में बयार कुछ अलग ही बहने लगी। कहीं यह महाभारत का अगला अध्याय तो नहीं, जिसमें ‘भीष्म पितामह’ के परिजनों की हार और ‘युवराज’ की ताजपोशी एक साथ लिखी जा रही है?

कहलगांव, जो कभी कांग्रेस का कुरुक्षेत्र था — जहाँ सदानंद सिंह नौ बार अपने तीर-कमान से जनता के दिल जीतते रहे — अब वहां आरजेडी की नई पीढ़ी की घोड़े दौड़ाने की तैयारी है। और घोड़े भी ऐसे, जिनके खुनों में लंदन का MBA और पीठ पर तेजस्वी की कृपा दृष्टि का वरदान हो।

झारखंड से यह राजनीतिक बारात जब बिहार की ओर बढ़ी, तो यह तय था कि इसमें मामा-बुआ से लेकर चाचा-ताऊ तक सबकी तस्वीरें होंगी। हेमंत सोरेन जी, जिनके घर में खुद लोकतंत्र पर ‘ED’ की छांव मंडराती रही, अब अपने मंत्री के पुत्र को लोकतंत्र की सीढ़ियां चढ़ाने में पूरा सहयोग कर रहे हैं — क्योंकि जैसा कि लोकतंत्र में परंपरा है, राजनीति वही करेगा, जो राजनीति से जन्मा हो।

तेजस्वी यादव भी अब राजनीति के “लालू संहिता” के सबसे अनुभवी विद्यार्थी हो चुके हैं — वे भलीभांति जानते हैं कि जातीय संतुलन, पारिवारिक विरासत और भावनात्मक अपील से बेहतर कोई प्रचार नहीं। इसीलिए कहलगांव में जब यादव मतदाता की गिनती बढ़ी, तो वहाँ पर ‘यादव प्लस युवा’ का नया फार्मूला लागू करने की तैयारी कर ली गई।

अब सवाल ये है कि क्या यह केवल एक नियुक्ति है या “राजनीतिक दीक्षा संस्कार” का शुभारंभ?
क्या युवा रजनीश, गोड्डा में अपनी मेहनत से जो राजनीति का बीज बो चुके हैं, उसे अब कहलगांव में वोटों की फसल के रूप में काटेंगे?

जनता यह सवाल पूछ रही है कि क्या राजनीति अब “योग्यता” नहीं, “वंश परंपरा” और “राजनैतिक नेटवर्किंग” की प्रथा बन चुकी है? लंदन से MBA कर लौटे रजनीश यादव की तारीफ़ इस बात के लिए भी होनी चाहिए कि उन्होंने यूके में कॉर्पोरेट चमक से दूर रहकर झारखंड-बिहार के पंचायत भवनों की छांव तले राजनीति का प्रशिक्षण चुना। मगर जनता भी अब इतनी भोली नहीं रही। वह ये भी देख रही है कि जब राजनीति केवल “परिवारवाद के प्रोमोशन” का मंच बन जाए, तो उसमें जनसेवा शब्द कितना खोखला लगता है।

बिहार और झारखंड की राजनीतिक सीमा अब इतनी धुंधली हो चुकी है कि वहाँ एक मंत्री का बेटा किसी दूसरे राज्य में प्रत्याशी बनने की तैयारी करता है — और यह खबर नहीं, प्राकृतिक नियम समझा जाता है।

जनता को अब चुनाव में न नीतियों से फर्क पड़ता है, न मुद्दों से, बस इतना तय हो जाता है कि कौन सा यादव, किस सीट से, किसके आशीर्वाद से उतर रहा है। बाक़ी लोकतंत्र और संविधान तो फ्रेम में टंगी तस्वीरें हैं, जो हर नई पीढ़ी के नेताओं के पीछे दीवारों पर अच्छे लगते हैं।

कहलगांव के चुनावी मैदान में अब “युवा यादव बनाम स्मृति शेष कांग्रेस” की जंग तय है। देखना यह होगा कि इस नए युवराज को ताज मिलता है या ताली… या फिर जनता पहली बार वंशवाद को ‘वोट आउट’ करने की हिम्मत जुटा पाती है?

Loading Live TV...
YouTube Logo

जो खबरें सबको जाननी चाहिए 🔥
उन्हें सबसे पहले देखिए 22Scope पर

📺 YouTube पर जाएँ – Breaking News के लिये Subscribe करें 🔔

📍 लोकेशन और मौसम लोड हो रहा है...

Stay Connected
124,000FansLike
21,400FollowersFollow
497FollowersFollow
534,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest News

चाची भतीजे में हो गया प्यार, महिला के पति ने दी...

जमुई: जमुई से रिश्ते को तार तार करने वाली एक खबर सामने आई है जहां प्रेम के नाम पर रिश्तों की मर्यादा का गला...

22scope is your trusted destination for the latest news, updates, and in-depth coverage across various topics, including politics, entertainment, sports, technology, and More.