Wednesday, July 9, 2025

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रामगढ़ में हथिनी ने रेलवे ट्रैक पर दिया शावक को जन्म, मालगाड़ी दो घंटे रोकी गई; वन विभाग और रेलवे की तालमेल की हो रही सराहना

रामगढ़: जिले से एक भावनात्मक और दुर्लभ दृश्य सामने आया है, जिसने वन्यजीव संरक्षण और मानवीय संवेदनाओं का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया। सरवाहा के चरही गांव के पास एक गर्भवती हथिनी ने रेलवे पटरी पर शावक को जन्म दिया। इस दौरान रेलवे प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों ने तुरंत सूझबूझ दिखाते हुए मालगाड़ी को करीब दो घंटे तक रोक दिया, जिससे हथिनी और उसका नवजात सुरक्षित जंगल लौट सके।

जानकारी के अनुसार, लगभग 15 दिन पहले हाथियों का एक झुंड बोकारो के बसंतपुर, चीक कला और करगी गांव होते हुए सरवाहा क्षेत्र पहुंचा था। इस दौरान एक हथिनी झुंड से बिछड़कर हजारीबाग-बड़काना रेलवे लाइन के पास आ गई। हथिनी की उपस्थिति की सूचना मिलते ही वनरक्षी ने रामगढ़ के वन प्रमंडल पदाधिकारी (DFO) नीतीश कुमार को जानकारी दी। डीएफओ ने तत्काल कार्रवाई करते हुए हजारीबाग से बड़काना जा रही मालगाड़ी को रोकने का निर्देश जारी किया।

करीब दो घंटे के दौरान हथिनी ने सुरक्षित प्रसव किया और नवजात शावक के साथ लगभग 10 किलोमीटर तक चलकर हाथी कॉरिडोर के माध्यम से जंगल लौट गई। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह पहला मौका था जब उन्होंने इतने नजदीक से हथिनी का प्रसव और शावक के साथ जंगल में लौटने का दुर्लभ दृश्य देखा।

हथिनी और उसके शावक के सुरक्षित लौटने के बाद रेल परिचालन फिर से शुरू कर दिया गया। इस समन्वय के लिए रेलवे और वन विभाग की पूरे राज्य में सराहना हो रही है। दोनों विभागों ने जिस सजगता और संवेदनशीलता का परिचय दिया, वह जीवनदायिनी पहल के रूप में देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि रामगढ़ जिले में हाथियों के दो प्रमुख कॉरिडोर हैं—एक बोकारो जिले से होते हुए एनएच-33 के जरिए सरवाहा और बड़काना की ओर जाता है, जबकि दूसरा सिल्ली से गोला प्रखंड के जंगलों में प्रवेश करता है। गोला प्रखंड के गांवों में साल के आठ महीने हाथियों की सक्रिय उपस्थिति देखी जाती है।

हालांकि, हाल के वर्षों में हाथियों के उत्पात की घटनाएं भी सामने आई हैं। बीते तीन वर्षों में हाथी हमलों में 10 लोगों की जान गई है, जबकि 23 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। वन विभाग ने मृतकों के परिजनों को 41 लाख और घायलों को 11,000 की सहायता राशि दी है। वहीं फसलों, मकानों और पशुओं को नुकसान पहुंचाने के 1,623 मामलों में 7,700 का मुआवजा प्रदान किया गया है।

यह घटना न केवल वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सही समय पर लिए गए निर्णय बड़े हादसों को टाल सकते हैं।