Ranchi खतियान आधारित नियोजन नीति से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा एकबारगी यू टर्न लेने पर छात्र नेता जयराम महतो ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
जयराम महतो ने हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि रघुवर दास से कोई गिला नहीं है,
रघुवर दास तो बाहरी था, धोखा तो धरती पुत्रों ने दिया.
हेमंत सोरेन के इक तर्क पर की खतियान आधारित नियोजन नीति का निर्माण करने पर मामला न्यायपालिका में फंस जाएगा,
जयराम महतो ने कहा कि कानून बनाना न्यायपालिका का काम नहीं है,
उसका काम कानून का संरक्षण करने का है, कानून तो विधायका ही बनायेगी.
जयराम महतो ने कहा कि हेमंत सोरेन को बस इतना ही करना था कि नौकरियां सिर्फ झारखंडियों को ही मिलेगी.
बाकी काम तो साक्षात्कार के वक्त होता है,
उनसे उस समय स्थानीय प्रमाण पत्र की मांग करनी थी,
क्योंकि स्थानीय प्रमाण पत्र तो खतियान के आधार पर ही बनेगा. स्थानीयता और आवासीय प्रमाण अलग-अलग होता है,
न्यायपालिका पर बाहरी लोगों का कब्जा, आदिवासी-मूलवासियों का प्रतिनिधित्व नहीं
जयराम महतो ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि न्यायपालिका में भी गैर आदिवासी-मूलवासियों का कब्जा है और न्यापालिका में
हमारा प्रतिनिधित्व ही नहीं है, यह तो एक लम्बी लड़ाई है.
लेकिन किसी भी हालत में कानून बनाने का अधिकार न्यायपालिका को नहीं दिया जा सकता.
आदिवासी चेहरा दिखलाकर आदिवासियों का शोषण
हेमंत सोरेन की नीतियों पर जोरदार हमला बोलते हुए जयराम महतो ने कहा कि सवाल इनकी नियत का है,
हेमंत सोरेन अपना आदिवासी-मूलवासी चेहरा दिखला कर सिर्फ आदिवासियों को लूटने का काम किया है,
अब भी समय है कि आदिवासी-मूलवासी सतर्क हो जाय, अपने हक की बात करें ना की पार्टी.
इस लड़ाई में आदिवासी-मूलवासियों को पार्टी से उपर उठ कर सोचना होगा.
नहीं तो रोजगार की खोज में असाम, बंगाल, कर्नाटका जाना ही हमारी नियती होगी .
असम मूवमेंट से हमें सीख लेनी होगी
आदिवासी-मूलवासियों को असम मूवमेंट से सबक लेनी होगी , उनकी तरह ही हमें अपने विधायकों को विधान सभा से बाहर का रास्ता दिखलाना होगा.
तब ही हमारा भविष्य बचेगा, यदि आज हम अपनी लड़ाई नहीं लड़े तो हमारी आने वाली पीढ़ियां गुलामी हो जाएगी.
हम यह तय करें कि हम किसी भी विधायक को उनके विधान सभा में हेलने नहीं देंगे, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का. उसे उसके विधान सभा क्षेत्र में बहिष्कार करना पड़ेगा. आज हर झारखंडी मुख्यमंत्री के इस बयान से अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है.
हेमंत के पास मिशन नहीं एम्बीशन है
मुख्यमंत्री पर तंज कसते जयराम महतो ने कहा कि उनके पास न तो विजन है और न ही मिशन, है तो सिर्फ एम्बीशन, किसी भी हालत में उन्हे मुख्यमंत्री बनना है,
भले ही आदिवासी-मूलवासियों के जीवन में उनकी राजनीति से कोई बदलाव नहीं आए.
उनके चारों ओर सिर्फ गैर आदिवासी मूलवासी भरे पड़े हैं, जिनका पीए तक गैर आदिवासी है वह आदिवासी-मूलवासी की बात कैसे कर सकता है.
राज्यपाल से मुलाकात के बाद जयराम का बढ़ा हौसला, स्थानीय नीति के लिए भरी हुंकार
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