Jamtara : जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड के बंदरचुवां गांव से समाज को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है जिसने इंसानियत को कलंकित कर दिया है। घटना ने राज्य सरकार को दावे को एक बार फिर से उजागर किया है। अस्पताल प्रबंधन ने शव देने के पहले परिजनों से पूरा पैसा वसूला फिर जाकर शव को परिजनों को सौंप दिया।
दरअसल जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड के बंदरचुवां गांव निवासी अख्तर अंसारी हार्ट की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। सिलाई और मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए रांची के आलम अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
Jamtara : बेटी की शादी गांव वालों ने चंदा इकट्ठा कर कराई थी
परिजनों का आरोप है कि मौत के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने शव देने से पहले बकाया बिल जमा कराने की शर्त रखी। मजबूरी में परिजनों ने पूरा पैसा जमा किया, तब जाकर शव घर ले जाने दिया गया। अख्तर अंसारी के 6 बच्चे हैं – 5 बेटियां और 1 बेटा।
ग्रामीणों ने बताया कि एक बेटी की शादी गांव वालों ने चंदा इकट्ठा कर कराई थी, जबकि अब भी 4 बेटियां और एक बेटा बाकी हैं, जिनका भविष्य संकट में है। कमाने वाला सदस्य न होने से पूरा परिवार बेसहारा हो गया है।
ग्रामीणों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी कई बार दावा कर चुके हैं कि शव देने के लिए पैसा लेने वाले अस्पतालों को सील किया जाएगा, लेकिन इस घटना ने उनके वादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों ने सरकार से परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता और बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी उठाने की मांग की है।
सिराज अंसारी की रिपोर्ट–
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