प्रयागराज : महाकुंभ में भगदड़ हादसे के बाद आज 10 बजे तक 92.90 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी। महाकुंभ में मौनी अमावस्या को श्रद्धालुओं के सैलाब के दौरान हुए हादसे के बाद भी लोगों की संगम में स्नान के लिए आस्था हिलारें ले रही हैं।
आलम यह है कि तमाम पाबंदियों और व्यवस्थाओं में किए गए बदलाव के बाद भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों का महाकुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचना निरतंर जारी है।
मौनी अमावस्या के बाद वाले दिन गुरूवार को आज सुबह 10 बजे तक 92.90 लाख श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम स्थल त्रिवेणी में पावन डुबकी लगा ली है। इसकी पुष्टि मेला प्रबंधन और यूपी सरकार ने की है।
भगदड़ हादसे बाद महाकुंभ पहुंचे 82.90 लाख श्रद्धालु…
एक दिन पहले हुए मौनी अमावस्या पर संगम स्नान के दौरान हुए भगदड़ हादसे के बाद व्यवस्था के पटरी पर लौटते ही मेला क्षेत्र में नए श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों के हुजूम का पहुंचना जारी है। देश के विभिन्न प्रांतों एवं विदेशों से आए श्रद्धालु वाराणसी, जौनपुर, जंघई, चंदौली, रीवां आदि में वाहनों के साथ बीते बुधवार को रोक दिए गए थे।
बीते आधी रात के बाद उनके संगम तट से काफी दूर तक वाहन पार्क कर मेला क्षेत्र के लिए पैदल जाने की अनुमति दी गई। उसके बाद तो फिर से भारी संख्या में श्रद्धालुओं का संगम के लिए मेला क्षेत्र में पहुंचने का क्रम नए सिरे से शुरू हुआ।
मेला प्रबंधन और यूपी सरकार ने गुरूवार को बताया कि संगम तट पर रेती पर 10 लाख कल्पवासी पूर्ववत बने हुए हैं लेकिन नए श्रद्धालुओं एवं तीर्थयात्रियों के पहुंचने एवं स्नान कर लौटने का क्रम अनवरत जारी है। गुरूवार को मेला क्षेत्र में संगम स्नान के लिए कुल नए 82.90 लाख श्रद्धालु एवं तीर्थयात्री पहुंचे।
महाकुंभ में भगदड़ हादसे के बाद लागू हुईं 7 आपातकालीन व्यवस्थाएं…
बताया जा रहा है कि मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान हुए हादसे के बाद तत्काल हालात को नियंत्रित करने के लिए मेला प्रबंधन एवं प्रशासन ने पहले से तैयार 7 आपातकालीन व्यवस्थाओं को लागू किया। उन्हें अमल में लाते हुए तत्काल हालात को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया। भगदड़ हादसे के बाद पुलिस ने बीते मंगलवार देर रात से ही मेले में जाने वाले वाहनों पर रोक लगा दी।
प्रयागराज जिले की सीमाओं को सील कर दिया और यातायात पुलिस ने 7 आपातकालीन योजनाएं लागू कर भीड़ पर काबू पाया। आपातकालीन व्यवस्था के अनुसार ही श्रद्धालुओं को संगम की ओर जाने दिया गया। श्रद्धालुओं की अचानक संख्या बढ़ने पर जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया। इसमें लखनऊ, कानुपर, भदोही, मिर्जापुर, कौशाम्बी, जौनपुर और प्रतापगढ़ समेत अन्य रूट शामिल थे।
इसके अलावा शहर में हर एक किमी पर बैरिकेडिंग रही।प्रयागराज में वाहनों का लोड बढ़ने से वाराणसी से शहर की ओर जाने वाले वाहनों को भदोही के बाबूसराय क्षेत्र में रोक दिया गया था। वहीं, अन्य रूटों का भी यही हाल था। रीवां की ओर से नैनी के तरफ आने वाले श्रद्धालुओं को अरैल की जाने की अनुमति मिली।
वाराणसी रूट से झूंसी की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को छतनाग के रास्ते से भेजा गया। प्रतापगढ़ और लखनऊ की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को छोटा बघाड़ा की ओर से भेजा गया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं को मेडिकल चौराहा, पत्थर गिरजाघर व पानी टंकी से जंक्शन जाने दिया गया। संगम में स्नान के बाद बाई का बाग, रामबाग, जानसेनगंज होते हुए जंक्शन की ओर भेजा गया।
महाकुंभ 2025 के लिए भीड़ प्रबंधन को लेकर बनी 32 योजनाओं को जानिए…
बता दें कि मेले के दौरान भीड़ प्रबंध को लेकर पुलिस ने 32 योजनाएं बनाई हैं। इसमें रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, शहर और सीमाओं पर आने-जाने वाली भीड़ को शामिल किया है। मौनी अमावस्या पर्व पर बीते मंगलवार रात से ही मेला क्षेत्र में करोड़ों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने लगा। इसी बीच हादसे के बाद पुलिस-प्रशासन हरकत में आया और भीड़ नियंत्रण करने के लिए सात योजनाओं को लागू किया।
इसमें स्कीम-13, स्कीम-14, स्कीम-15, डी-वन, डी-टू समेत अन्य दो और आपातकालीन योजनाएं शामिल थीं। इसके अंतर्गत रेलवे स्टेशन से संगम की ओर और संगम से रेलवे स्टेशन जाने वाली भीड़, विभिन्न चौराहों से भीड़ का डायवर्जन और शहर की सीमाओं पर वाहनों पर रोक लगा दी। योजनाओं के अनुसार ही पुलिस ने सतर्कता बरती और श्रद्धालुओं को अलग-अलग रास्ते से संगम की ओर भेज दिया।