ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की सैन्य कार्रवाई के बाद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने हमले को “स्पेक्टकुलर मिलिट्री सक्सेस” बताते हुए दावा किया कि ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटीज को पूरी तरह तबाह कर दिया गया है। ट्रंप ने ऑपरेशन में शामिल पायलटों और अमेरिकी सेना को बधाई देते हुए कहा कि यह मिशन वर्षों में देखे गए सबसे प्रभावशाली अभियानों में से एक है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि यदि ईरान अब भी शांति के मार्ग पर नहीं चलता है, तो अमेरिका और भी अधिक सटीक और तेज हमलों के लिए तैयार है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि “अब या तो शांति होगी या एक और बड़ी त्रासदी।” ट्रंप के मुताबिक अधिकांश अन्य सैन्य ठिकानों को “कुछ ही मिनटों में” नेस्तनाबूद किया जा सकता है।
अपने संबोधन में ट्रंप ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी धन्यवाद कहा और बताया कि यह मिशन एक संयुक्त रणनीति का हिस्सा था। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि जनरल कासिम सुलेमानी को खत्म कर अमेरिका ने अपने लोगों की जान बचाई है, क्योंकि वह अमेरिकी सैनिकों की मौत के लिए जिम्मेदार थे।
वहीं, ईरानी पत्रकार हसन ज़दी ने अमेरिकी दावों को “अविश्वसनीय और प्रोपेगैंडा” करार देते हुए कहा कि अभी तक ईरान की एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन की ओर से नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने बार-बार ईरान को गलत आंका है और इस बार भी वह गंभीर प्रतिक्रिया झेलने को तैयार रहे।
हसन ज़दी के मुताबिक, ईरान का रुख स्पष्ट है—”रेड लाइन” क्रॉस की गई है और अब जवाब तय है। उन्होंने चेताया कि यदि अमेरिका ने कोई और कदम उठाया तो प्रतिक्रिया इतनी व्यापक होगी कि वह अमेरिका के लिए असहनीय साबित हो सकती है।
ईरान के अधिकारियों का दावा है कि परमाणु स्थलों से संवेदनशील सामग्री पहले ही हटा ली गई थी। हालांकि, अमेरिका द्वारा इस्तेमाल किए गए बंकर बस्टर बम और मिसाइलों से हुए वास्तविक नुकसान का आंकलन फिलहाल जारी है।