Bihar Election 2025 : चिराग ने छेड़ी मुस्लिम मुख्यमंत्री की बात तो तेजस्वी ने दिखाया आईना, बोले पाकिस्तान भेजने वाले …
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में पक्ष विपक्ष के बीच सह और मात का खेल जारी है और हर पार्टी एक दूसरे से बढ़त बनाने में लगी है ताकि चुनाव में माइलेज ले सके। हर पार्टी वोट बैंक के हिसाब से जातिय गोलबंदी करने में भी लगी है। लोजपा सांसद और केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान के ट्वीट ने एक बार फिर बिहार के सियासी तापमान को बढा दिया है।

चिराग पासवान के ट्वीट से बढ़ा बिहार के सियासी तापमान
चिराग पासवान ने सोशल मीडिया पोस्ट के बहाने राजद पर तंज कसते हुये लिखा है कि – 2005 में मेरे नेता मेरे पिता स्व. रामविलास पासवान जी ने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी पार्टी तक कुर्बान कर दी थी – तब भी आपने उनका साथ नहीं दिया।
चिराग पासवान ने मुस्लिमों को संबोधित करते आगे लिखा है ..राजद 2005 में भी मुस्लिम मुख्यमंत्री के लिए तैयार नहीं था, आज 2025 में भी न मुस्लिम मुख्यमंत्री देने को तैयार है, न उपमुख्यमंत्री! अगर आप बंधुआ वोट बैंक बनकर रहेंगे, तो सम्मान और भागीदारी कैसे मिलेगी?
तेजस्वी के पलटवार से बैकफुट पर चिराग पासवान
वहीं तेजस्वी यादव ने ट्वीट का जबाब देते हुये लिखा है कि जो कल तक पाकिस्तान भेजने की बात करते थे आज मुख्यमंत्री पद की बात करते हैं। तेजस्वी यादव ने चेतावनी देते हुये लिखा है कि बिहार की जनता वर्तमान सरकार से ऊब चुकी है । जनता इस बार बदलाव के मूड में है और भ्रष्टाचारी नीतीश सरकार का जाना तय है। तेजस्वी के इस बयान से चिराग पासवान बैक फूट पर दिख रहे हैं।
वोट है पर प्रतिनिधित्व नही
गौरतलब हो कि बिहार में मुसलमानों की जनसंख्या राज्य में करीब 17.7% है, यानी लगभग हर पांचवां वोटर मुस्लिम है, लेकिन तस्वीर बिल्कुल उलट है। इस बार के चुनाव में उम्मीदवारों की सूची पर गौर करे तो इस बार न बीजेपी, न जेडीयू, न ही राजद या कांग्रेस, किसी ने भी मुसलमानों को पहले जैसा प्रतिनिधित्व नहीं दिया, टिकट कम हुए हैं, उम्मीदें टूटी हैं और विधानसभा में आवाज पहले से भी कमजोर पड़ गई है।
राजद जो कभी यादव-मुस्लिम समीकरण की पहचान मानी जाती थी — अब जातीय विविधता के नाम पर टिकट बंटवारे में अदला-बदली कर रही है, यानी राजनीतिक हित बदलने के साथ-साथ वो ‘माई समीकरण’ (Muslim-Yadav) भी धीरे-धीरे इतिहास बन रहा है।
वहीं नीतीश कुमार जिनकी राजनीति हमेशा सामाजिक संतुलन पर केंद्रित रही है, ने भी एनडीए गठबंधन में आने के बाद ख़ुद को नए वोट बैंक की सीमा में बांध लिया है।
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