Breaking : सीबीआई ने अब आरजी कर अस्पताल की नई सुपरिंटेंडेंट डॉ. बुलबुल को किया तलब, पूछताछ शुरू

डिजीटल डेस्क : Breakingसीबीआई ने अब आरजी कर अस्पताल की नई प्रिंसिपल डॉ. बुलबुल को किया तलब, पूछताछ शुरू। बीते 10 दिनों से लगातार सुर्खियों  बने मेडिकल कॉलेज की छात्रा के रेप और मर्डर केस में बुधवार को मामले की जांच कर रही सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की नई सुपरिंटेंडेंट डॉ. बुलबुल बंदोपध्याय को तलब किया है।

वह साल्टलेक स्थित सीजीओ कांप्लेक्स में दूसरी मंजिल स्थित सीबीआई दफ्तर पहुंची हैं और उनके पूछताछ शुरू हो चुकी है। पूर्व सुपरिंटेंडेंट को हटाए जाने के बाद से डॉ. बुलबुल ही कॉलेज में बतौर सुपरिंटेंडेंट कामकाज देख रही हैं और राज्य सरकार की ओर गठित जांच समिति की वह अस्पताल में अगुवाई भी कर रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई को गुरूवार इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी है और इसी क्रम में उसकी ओर से अभी तक जांच के बचे रहे कोण व  साक्ष्य को खंगालने का काम अपने आखिरी पड़ाव की ओर माना जा रहा है। लगातार छठें दिन बुधवार को भी पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष सीबीआई दफ्तर पहुंचे और उनसे भी अभी पूछताछ का क्रम जारी है।

डॉ. बुलबुल बंदोपाध्याय की फाइल फोटो
डॉ. बुलबुल बंदोपाध्याय की फाइल फोटो

सीबीआई ने सुपरिंटेंडेंट डॉ. बुलबुल से दागे कई सवाल….

डॉ. बुलबुल आरजी कर मेडिकल कॉलेज में नई तैनाती से पहले डीन पद पर तैनात रही थीं। बीते 9 अगस्त की सुबह अस्पताल के इमरजेंसी वाली बिल्डिंग के चौथी मंजिल स्थित सेमिनार रूम में मेडिकल छात्रा की रक्तरंजित विभत्स लाश मिलने से सनसनी फैल गई थी।

उसके बाद मृतका के साथ जघन्य दुष्कर्म और मारपीट कर हत्या का ब्योरा सामने आने के बाद प्रकरण में तुरंत तूल पकड़ा था। उसके बाद हालात संभालने को राज्य सरकार तुरंत सुपरिंटेंडेंट को हटाया और डॉ. बुलबुल को उसका कार्यभार देते हुए पूरे मामले पर विभागीय जांच को गठित समिति का प्रमुख भी बना दिया।

सीबीआई के पूछताछ कक्ष में बुधवार दोपहर पहुंचीं डॉ. बुलबुल से जांच अधिकारियों ने एक के बाद एक कई सवाल दागे हैं।

सीबीआई के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, डॉ. बुलबुल से पूछा गया है कि घटना की जानकारी उन्हें कैसे मिली? घटना के समय वह कहां थी? घटना के बारे में उन्हें प्राथमिक जानकारी क्या मिली थी? अपनी विभागीय जांच में उन्हें अभी तक प्रकरण में कोई क्लू मिला है क्या?

सीबीआई के गहरे निशाने पर हैं डॉ. संदीप घोष, अब तक की सबसे लंबी पूछताछ उन्हीं से जारी

प्रकरण के संबंध में उनकी जांच समिति ने अभी तक क्या-क्या किया है और उनकी जांच का अभी तक का निष्कर्ष क्या रहा है ? बता दें कि इससे पहले सीबीआई इसी प्रकरण में आरजी कर के कई अधिकारियों को अब तक तलब कर चुकी है।

उनमें पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. अरुणाभ दत्त चौधरी भी शामिल थे जिस विभाग में घटना की शिकार छात्रा अध्ययनरत थी। साथ ही अन्य मेडिकल छात्रों से भी सीबीआई पूछताछ कर चुकी है। लेकिन पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से ही सीबीआई की पूछताछ सबसे ज्यादा समय तक जारी है।

कोलकाता निर्भया कांड के रूप में देश और दुनिया में लगातार बीते 10 दिनों से भी ज्यादा समय से सुर्खियों में बने आरजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल छात्रा के रेप और मर्डर केस में पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष बुधवार को लगतार छठें दिन सीबीआई के साल्टलेक स्थित सीजीओ कांप्लेक्स के दूसरी मंजिल पर बने पूछताछ कक्ष में हाजिर हुए तो कई सवाल लोगों के मन में कौंधे।

सीबीआई की कार्य प्रणाली को जानने वालों का मामना है कि कुछ न कुछ तो पूरे मामले में अहम सुराग पूर्व प्रिंसिपल के बारे मे इस घटना को लेकर सीबीआई के हाथ लग चुका है जिसकी लगातार डा. संदीप की ओर से सफाई दी जा रही है।

मंगलवार को लगातार पांच दिन की पूछताछ पूरी होने के बाद  डॉ. संदीप के जवाबों से सीबीआई असंतुष्ट रही। छठें दिन पूछताछ में फिर अपनी सफाई के पक्ष में दस्तावेजी साक्ष्य लेकर पूर्व प्रिंसिपल हाजिर हुए हैं लेकिन इस बार तेजतर्रार महिला सीबीआई अधिकारी सीमा पाहुजा भी पूछताछ वाली टीम में हैं।

लोगों का मानना है कि जल्द ही चौंकाने वाली कार्रवाई भी सीबीआई की ओर से हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को ही पूरे मामले में अब तक की जानकारी मांगी है।

बुधवार को कोलकाता के साल्टलेक में सीबीआई दफ्तर वाले कांप्लेक्स के बाहर जुटी भीड़।
बुधवार को कोलकाता के साल्टलेक में सीबीआई दफ्तर वाले कांप्लेक्स के बाहर जुटी भीड़।

डॉ. संदीप के एक हजार पन्ने वाले काले चिट्ठे की सीबीआई को मिली भनक !

इसी बीच एक साल पहले इसी आरजी कर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट की ओर से पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग को सुपुर्द किए गए एक हजार पेजों वाले दस्तावेज की चर्चा काफी जोरों पर है।

बताया जा रहा है कि कहीं न कहीं उसकी भनक सीबीआई को भी लगी है या उस दस्तावेज में दर्ज ब्योरे सीबीआई को हाथ लग चुके हैं और उसी कारण पूर्व प्रिंसिपल से जारी पूछताछ तनिक लंबी खिंच गई है।

बताया जाता है कि उसी दस्तावेज में एक स्थान पर सीधे तौर पर डॉ. संदीप घोष के बारे में खुलकर लिखा है कि वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में में गुंडों का एक गैंग संचालित करते हैं जो बड़े स्तर पर कटमनी के धंधे वाला भ्रष्टाचार करने के साथ ही जबरन वसूली का भी अवैध धंधा चला रहा है।

इसी क्रम में यह भी बात सामने आई है कि पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार में इतनी रसूख वाला हो गया था कि अलग-अलग कारणों से 3 बार जारी हुआ अपना ट्रांसफर आदेश रुकवा दिया था। आरजी कर परिसर के साथ ही स्वास्थ्य विभाग में भी उसकी तूती बोलती थी।

उसके रसूख का आलम यह था कि उसकी जुबान से निकली बात ही आरजी कर परिसर में कानून माना जाता था और उसकी बात को टालने का कोई हिम्मत नहीं जुटाता था।

राज्य सरकार की एसआईटी के डॉ. संदीप के खिलाफ जारी जांच पर उठी उंगली

मेडिकल छात्रा के घटी घटना के उजागर होने और तूल पकड़ने के कई दिनों बाद जब पूरा मामला हाथों से बाहर निकल गया तब जाकर डॉ.संदीप घोष के खिलाफ आर्थिक मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया गया है।

आरोप लग रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार और संगठन की साख बचाने को डॉ. संदीप से जुड़े कई तथ्यों को गोलमोल कर उसके खिलाफ कार्रवाई का ढोंग कर रही हैं। हालांकि इस बारे में न तो सत्ता पक्ष और ना ही विपक्ष के लोग ही खुलकर अधिकृत तौर पर कुछ कह रहे हैं।

सभी को सुप्रीम कोर्ट में गुरूवार को पेश होने वाली सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पर है। इस बीच एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स वेस्ट बंगाल (एएचएसडीडब्ल्यूबी) के महासचिव और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. उत्पल बंधोपाध्याय ने इस बारे मं बताया है कि एक साल पहले आरजी कर अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने एक हजार पेजों का एक दस्तावेज स्वास्थ्य विभाग को जमा किया था।

उसी दस्तावेज में आरोप था कि आरजी कर मेडिकल में गुंडों का एक गैंग है जो बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार कर रहा है और जबरन वसूली का धंधा चला रहा है। उसी दस्तावेज में लिखा था कि यह गिरोह पार्किंग वालों से वसूली करता है और आसपास दुकानों से जबरन वसूली करता है।

अस्पताल के कचरे में भ्रष्टाचार होता है। दवाओं की खरीद-फरोख्त में जबरन वसूली की जाती है। अस्पताल में गुंडा गैंग का राज चलता था। अस्पताल का कोई भी व्यक्ति इनके डर से मुंह नहीं खोल पाता था।

आरजी कर प्रकरण के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन
आरजी कर प्रकरण के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन

केवल आरजी कर नहीं पूरे बंगाल में डॉ. संदीप के गैंग का चलता था सिक्का !

डॉ. उत्पल बंध्योपाध्याय ने बताया कि आरजी कर  गुंडा गैंग पर आरोप है कि वे तय करते थे कि किस विद्यार्थी को पास करना है और किसे फेल करना है। इसके बाद गैंग के सदस्य पैसे लेकर फेल को पास करते थे। अगर इसमें कोई सीनियर डॉक्टर उनकी बात नहीं मानता था तो पहले उसे धमकाया जाता और फिर उसको दूर-दराज के क्षेत्र में ट्रांसफर करने की धमकी दी जाती।

फिर फेल विद्यार्थी को पास करने के लिए गिरोह के सदस्य पैसे लेते थे। ऐसा माहौल आरजी कर अस्पताल में पिछले कुछ वर्षों से जारी है। डॉ. संदीप घोष के कार्यकाल में यह तेजी से फला-फूला।  डॉ. बंदोपाध्याय ने कहा कि आरजी कर कॉलेज में जो यह घटना घटी है,  वह इस कॉलेज के लिए कोई अनोखी घटना नहीं है।

गुंडों का गैंग जो कुछ आज तक वहां करता आ रहा था, यह उसका नतीजा है। यही नहीं, गैंग केवल आरजी कर मेडिकल कॉलेज तक ही सीमित नहीं है। गैंग पर आरोप है कि इसके भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का दायरा पूरे प्रदेश में है।

गैंग पर पश्चिम बंगाल के सारे मेडिकल कॉलेज, प्राइवेट अस्पताल, मेडिकल काउंसिल, पश्चिम बंगाल मेडिकल रेगुलेटिरी कमीशन समेत सभी प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार करने, दादागिरी करने और जबरन वसूली का आरोप है। परीक्षा को लेकर भ्रष्टाचार करने का आरोप भी गैंग पर बार-बार लगा है।

एएचएसडीडब्ल्यूबी महासचिव ने डॉ. संदीप की भूमिका पर उठाए सवाल

एएचएसडीडब्ल्यूबी महासचिव डॉ. उत्पल बंधोपाध्याय आगे कहते हैं कि डा. संदीप का पूरा ब्योरा राज्य सरकार के पास साल भर से जमा पड़ा है और सभी को कारस्तानी पता है। इसी क्रम में  पिछले साल कौन था आरजी कर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल? डॉ. संदीप घोष। वे पिछले कई वर्षों से कॉलेज के प्रिंसिपल हैं।

इन सबमें संदीप घोष का रोल क्या है? डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने राज्य सरकार को सौंपे एक हजार पेज के दस्तावेज सब बता दिया था। इसी क्रम में डॉ. उत्पल आगे कहते हैं कि आखिर मौजूदा घटना के साथ डॉ.संदीप वाले गैंग का क्या संबध है ? गौर करिए कि जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन क्या-क्या हुआ ?

कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी पूछा था कि घटना के बाद संदीप घोष ने मामला दर्ज क्यों नहीं कराया? हाईकोर्ट के इस टिप्पणी के बड़े गूढ अर्थ हैं कि संदीप घोष ने पीड़ितों का सहयोग नहीं किया, पीड़िता के माता-पिता के साथ सही व्यवहार नहीं किया है।

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