रांची: रेलवे घोटाला – रेलवे विभाग में ठेका दिलाने और बिल भुगतान के बदले मोटी रकम की वसूली के गंभीर आरोपों में CBI ने बड़ी कार्रवाई की है। 25 अप्रैल को साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे, बिलासपुर के चीफ इंजीनियर विशाल आनंद सहित चार लोगों को रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अब इस केस में दिल्ली स्थित CBI की अपराध निरोधक शाखा ने सात नामजद अभियुक्तों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी है।
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रेलवे घोटाला – CBI इंस्पेक्टर एमके पांडेय के नेतृत्व में जांच ।
CBI इंस्पेक्टर एमके पांडेय के नेतृत्व में इस मामले की जांच जारी है। जांच एजेंसी ने बताया कि 25 अप्रैल को रांची के हटिया में 32 लाख रुपये की रिश्वत लेते वक्त चार लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। इनमें मुख्य अभियंता विशाल आनंद को छत्तीसगढ़ से, जबकि उनके भाई कुणाल आनंद और पिता आनंद कुमार झा को रांची से पकड़ा गया। इन दोनों पर आरोप है कि वे झाझरिया निर्माण लिमिटेड के कर्मचारी मनोज पाठक से रिश्वत की रकम ले रहे थे।
रेलवे घोटाला – रिश्वतखोरी से जुड़ी भारी मात्रा में लेन-देन संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
CBI की कार्रवाई यहीं नहीं रुकी। आरोपितों की निशानदेही पर रांची, बिलासपुर और छत्तीसगढ़ के कई स्थानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान रिश्वतखोरी से जुड़ी भारी मात्रा में लेन-देन संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं। अब CBI इन आरोपियों के बैंक खातों की जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि रिश्वत की रकम से कितनी संपत्ति खरीदी गई।
इस घोटाले में झाझरिया निर्माण लिमिटेड, बिलासपुर की भूमिका भी जांच के दायरे में है। यह कंपनी रेलवे कंस्ट्रक्शन के कई ठेके हासिल कर चुकी है, जिनमें पुल, ओवरब्रिज, अंडरब्रिज और ट्रैक लाइनिंग जैसे कार्य शामिल हैं। CBI सूत्रों के अनुसार, कंपनी के प्रबंध निदेशक सुशील झाझरिया ने 21 अप्रैल को बिलासपुर में मुख्य अभियंता विशाल आनंद से मुलाकात की थी। इस बैठक में पुराने भुगतान संबंधी मामलों को लेकर बातचीत हुई थी। उसी दिन उन्होंने अपने कर्मचारी को 32 लाख रुपये रांची में पहुंचाने का निर्देश दिया था।
CBI ने इस लेन-देन से संबंधित पूरी योजना को ट्रैक किया और फिर तय समय पर रिश्वत लेते सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।