गोड्डा: गोड्डा में आयोजित आदिवासी दिवस समारोह के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने आदिवासी समुदाय की जमीन संरक्षण और अधिकारों को लेकर तीखा बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आदिवासियों को “मंईयां सम्मान राशि” नहीं, बल्कि अपनी पैतृक जमीन चाहिए, जो वर्षों से गलत तरीके से छीनी जा रही है।
चंपाई सोरेन ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “हम अपने 10 लोगों को खिलाने का दम रखते हैं। लेकिन हमारी जमीन अगर बची नहीं तो हमारे अस्तित्व पर संकट आ जाएगा।” उन्होंने 22 दिसंबर को भोना में होने वाली विशाल सभा की घोषणा करते हुए दावा किया कि उस दिन करीब 5 लाख लोग जुटेंगे और यह सबसे बड़ा प्रदर्शन होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासी जमीन पर अवैध कब्जा और माइनिंग का खेल खुलेआम चल रहा है, लेकिन किसी प्रशासनिक या राजनीतिक स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। “आज तक अच्छी सिंचाई व्यवस्था, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलीं। हम अब भी पांच किलो चावल के लिए मजबूर हैं, जबकि हम इस धरती के असली मालिक हैं,” उन्होंने कहा।
चंपाई सोरेन ने आदिवासी और मूलवासी समुदायों से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अगर हम जागे नहीं तो हमारी आबादी घटती जाएगी और आने वाले समय में हमारी पहचान मिट सकती है। “सरकार ने हमें आत्मनिर्भर बनाने की कोई ठोस योजना नहीं दी है, बल्कि हमें जीने के लिए मजबूर किया है। अब वक्त आ गया है कि हम अपनी जमीन और हक की लड़ाई खुद लड़ें,”