रांची: हरियाणा और जम्मू कश्मीर में हाल ही में संपन्न चुनावों के परिणामों ने झारखंड की राजनीतिक स्थिति पर गहरा असर डाला है। हरियाणा में बीजेपी की तीसरी बार सरकार बनाना, जो पिछले 57 वर्षों में पहली बार हुआ है, ने पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार किया है। इस जीत को देखते हुए, अब झारखंड में भी बीजेपी अपने प्रदर्शन को मजबूत करने की कोशिश करेगी।
झारखंड में बीजेपी की स्थिति को लेकर केंद्रीय नेताओं की सक्रियता बढ़ने की संभावना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हेमंत बिस्वा सरमा जैसे नेता झारखंड में ज्यादा सक्रिय होंगे। हरियाणा के परिणामों का असर झारखंड में महसूस किया जा सकता है, जहां बीजेपी को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के साथ सीधा मुकाबला करना होगा। इसके साथ ही, कांग्रेस की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। हरियाणा की जीत के चलते कांग्रेस की सीटों के लिए मांग में कमी आ सकती है, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हरियाणा में बीजेपी की जीत झारखंड के लिए एक संदेश के रूप में काम करेगी, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। अजय लाल के अनुसार, “हरियाणा के चुनाव परिणाम झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की जीत के लिए एक प्रेरणा बनेगा।” वहीं, कांग्रेस के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि उसे झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी।
जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की स्थिति कमजोर दिखाई दे रही है, जबकि वहां के चुनाव परिणामों ने भी झारखंड की राजनीति को प्रभावित किया है। झारखंड में यदि कांग्रेस को अपनी स्थिति को मजबूत करना है, तो उसे सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना होगा।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव परिणाम, जो बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखे जा रहे हैं, निश्चित रूप से झारखंड में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेंगे। बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी, जबकि कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव लाना पड़ सकता है।