गया : गुलाल के रंग अलग-अलग ऐसे बनाए हैं। पालक और सीम से हरे रंग के प्राकृतिक गुलाल बनते हैं। वहीं, गेंदा के फूल से पीले तो परास के फूल से लाल गुलाबी गुलाल तैयार हो रहे हैं। पूरी तरह से प्राकृतिक गुलाल की डिमांड को देखकर ढुंगेश्वरी की महिलाएं ज्यादा से ज्यादा संख्या में इसकी रोजाना पैकेजिंग कर रही है। 50 ग्राम का गुलाल जहां 20 रुपए के छोटे-छोटे पैकिंग में आराम से उपलब्ध है।
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आरण्यक रैपर में पैकेजिंग होने वाले गुलाल 100 ग्राम 50 रुपए में मिल जाते हैं
वहीं, आरण्यक रैपर में पैकेजिंग होने वाले गुलाल 100 ग्राम 50 रुपए में मिल जाते हैं। यह पैकिंग वाले ही गुलाल विदेश तक जाते हैं। वहीं, स्थानीय मार्केट में छोटे-छोटे पैकिंग में रहे 20 के 50 ग्राम वाले गुलाल बेचे जाते हैं। जीविका दीदियां बना रही प्रकृति गुलाल हरी सब्जियों और फूलों से बन रहा प्राकृतिक गुलाल पालक का साग, सीम, गेंदा का फूल और परास का फूल से निर्मित होता है। यह प्राकृतिक गुलाल पालक सीम से हरे कलर का बनता है। गेंदा से पीला तो परास के फूलों से लाल गुलाबी रंग का गुलाल होता है। तैयार पालक, सीम, परास और गेंदा को खौला कर सबसे पहले रंग निकलते हैं। इसमें सिर्फ खाने में उपयोग होने वाले अरारोट का होता है। मिश्रण मिश्रण के बाद सुखाया जाता है। इसके बाद हाथों से या फिर पलवलाइजर मशीन से पीसा जाता है। इसे और सुगंधित बनाने के लिए ब्रांडेड पाउडर का भी उपयोग होता है। यह केमिकल युक्त नहीं होता है इससे त्वचा को नुकसान नहीं होता है।
हर्बल गुलाल 2021 से जीविका की ढुंंगेश्वरी की महिलाएं बना रही है
हर्बल गुलाल 2021 से जीविका की ढुंंगेश्वरी की महिलाएं बना रही है प्रेरणा संस्था की ट्रेनिंग के बाद प्राकृतिक गुलाल का मार्केट बना ढुंंगेश्वरी होली जैसे पर्व में केमिकल युक्त रंग गुलाल मार्केट में छाए रहते हैं। केमिकल युक्त रंग गुलाल के उपयोग से शरीर को बड़ा नुकसान हो सकता है। खासकर, आंख और स्कीन के लिए इस तरह बड़े विकल्प के रूप में हर्बल गुलाल है जो लोगों को सेफ रखता है। होली के माहौल को और भी सुगंधित बना देता है। इस समय में मगध विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित कुमार सिंह बताते हैं कि प्राकृतिक गुलाल सबसे बेस्ट होता है। इस गुलाल के उपयोग से लोगों की बॉडी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता। त्वचा पूरी तरह से सुरक्षित रहती है। आंख को भी नुकसान नहीं होता है।
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उपयोग करने वाले साइड इफेक्ट से भी बचते हैं
वही, उपयोग करने वाले साइड इफेक्ट से भी बचते हैं। ऐसे में केमिकल युक्त रंग गुलाल के बजाय प्राकृतिक रंगुलाल अपनाएं और होली को खुशी-खुशी मनाएं होली में बड़ा रोजगार मिलता है। प्राकृतिक गुलाल देश ही नहीं विदेशों तक जाता है। वर्ष 2021 से प्राकृतिक गुलाल हम लोग बना रहे हैं। इस सीजन में हमें फुर्सत नहीं मिलती। अच्छी खासी कमाई हो जाती है। वहीं, खुशी होती है कि लोगों के बीच बिना केमिकल का गुलाल जाता है। इस हर्बल गुलाल से त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता। काफी सुगंधित होता है। पूरी तरह से यह प्राकृतिक रूप से तैयार होता है। हमलोग पिछले महीने से इस गुलाल को बना रहे हैं। इस गुलाल की मांग ज्यादा होती है। हम लोग पालक, सीम गेंदा का फूल परास के फूल से इसे बनाते हैं प्राकृतिक होने के कारण इसकी डिमांड काफी है। हम लोगों को बड़ा रोजगार होली के समय में मिलता है। 2021 से हम लोग इसे बना रहे हैं। यह देश और विदेश तक जाता है।
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आशीष कुमार की रिपोर्ट