सरायकेला: तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग मामला –
सिविल कोर्ट के एडीजे अमित शेखर की कोर्ट ने बहुचर्चित तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग मामले में फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने मामले में 10 आरोपियों को दोषी ठहराया है. सभी 10 दोषियों को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है.
इसके अलावा 17,500 रुपए का जुर्माना लगाया है.
दो आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट पहले ही बरी कर चुका है.
27 जून को कोर्ट ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था.
18 जून 2019 की रात तबरेज अंसारी को चोरी के आरोप में मॉब लिंचिंग कर दिया गया था.
सरायकेला सिविल कोर्ट के लोक अभियोजक अशोक कुमार राय ने मामले में 36 गवाहों की गवाही कराई.
ट्रायल के दौरान एक आरोपी की मौत हो चुकी है.
मामले में 13 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुआ था.
तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग मामला – इन आरोपियों को हुई सजाः
प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल,भीम सिंह मुंडा, अतुल महाली, सुनामो प्रधान, विक्रम मंडल, चामू नायक,
प्रेम चंद महाली, कमल महतो, मदन नायक और महेश महाली को सजा सुनाई गई.
क्या था मामला :
18 जून 2019 की रात को मृतक तबरेज अंसारी जमशेदपुर स्थित अपने फुआ के घर से सरायकेला स्थित अपने गांव
कदमडीहा लौट रहा था. इसी दौरान रास्ते में धातकीडीह गांव में ग्रामीणों ने मोटरसाइकिल चोरी के आरोप में उसे
पकड़ लिया और बांधकर रात भर पीटा. ग्रामीणों ने दूसरे दिन सुबह उसे पुलिस के हवाले कर दिया.
पुलिस ने पहले उसका इलाज सदर अस्पताल में कराया, फिर शाम को जेल भेज दिया था.
सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मौतः
22 जून 2019 की सुबह दोबारा तबरेज अंसारी को जेल से गंभीर हालत में सदर अस्पताल लाया गया.
जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गयी. हालांकि परिजनों के द्वारा उसके जिंदा होने का दावा करने पर
उसे सदर अस्पताल से जमशेदपुर टीएमएच रेफर कर दिया गया.
लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने तबरेज को मृत घोषित कर दिया.
जिसके बाद पुलिस और परिजन उसे वापस सरायकेला लाए और शव का पोस्टमार्टम कराया गया.
मृतक तबरेज अंसारी की दो महीने पहले ही शादी हुई थी.
27 अप्रैल को उसका निकाह हुआ था. परिवारवालों के मुताबिक निकाह के लिए ही तबरेज पुणे से गांव आया था.
निकाह के बाद ईद पर्व मनाने के लिए वह गांव में रुक गया था.
पुलिस ने 11 लोगों को किया था गिरफ्तार
सरायकेला पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया था. पुलिस ने 22 जून को ही नामजद
अभियुक्त पप्पू मंडल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जबकि बाद में 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई.
उधर खरसावां थाना प्रभारी और सिनी ओपी प्रभारी को ड्यूटी में लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था.
मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था.
झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट की मांग की थी.