रांची बोकारो जिले के पिंड्राजोरा थाना क्षेत्र अंतर्गत नारायणपुर मौजा की 21 एकड़ जमीन का मामला अब ईडी की रडार पर आ गया है।
ईडी इसे पूर्व में बोकारो में दर्ज 103 एकड़ वन भूमि घोटाले से जुड़े ईसीआईआर में शामिल करने की तैयारी कर रही है। यह जमीन खाता संख्या 317, प्लॉट संख्या 3589 में स्थित है, जिसकी फर्जी दस्तावेज तैयार कर बिक्री की गई थी। इस बाबत राजस्व उप निरीक्षक सुनील कुमार गुप्ता ने 12 अप्रैल को पिंड्राजोरा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है।
इससे पहले, 18 मार्च 2024 को सेक्टर-13 थाना में 103 एकड़ फर्जी वन भूमि सौदे की प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके तहत ईडी ने 22 अप्रैल को झारखंड और बिहार के 16 स्थानों पर छापेमारी की थी। अब 21 एकड़ वाले इस मामले को भी उसी ईसीआईआर से जोड़कर जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा।
प्राथमिकी में बताया गया है कि कुल 21 एकड़ में से 4.08 एकड़ अधिसूचित वन भूमि है, जबकि शेष 16.82 एकड़ झारखंड सरकार की है।
जमींदारी उन्मूलन के बाद 1956 में यह जमीन राज्य सरकार के नाम दर्ज हो गई थी, लेकिन वर्ष 2015-16 में बिना किसी सक्षम प्राधिकार के आदेश के ललन पांडेय नामक व्यक्ति के नाम से 2.80 एकड़ भूमि का राजस्व रिकॉर्ड में प्रविष्टि कर दी गई। यह पहली बार था जब जमीन की लगान रसीद जारी की गई, जो संदेहास्पद है।
प्राथमिकी के अनुसार, ललन पांडेय ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वर्ष 1983 में दस्तावेज संख्या 149 के तहत इस जमीन का निबंधन कराया था।
वहीं उमेश जैन के साथ मिलकर इस जमीन पर एक रिज़ॉर्ट भी बना दिया गया, जबकि जमीन की कंडिका-14 में किसी भी प्रकार के विकास कार्य पर रोक है। दोनों ने पुरुलिया (पश्चिम बंगाल) में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी भी निबंधित कराया।
इस पूरे मामले में चास अंचल कार्यालय के तत्कालीन राजस्व कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। आरोप है कि इनकी मिलीभगत से सरकारी कागजातों में हेराफेरी कर जमीन पर अवैध कब्जा और निर्माण कार्य किया गया, जिससे राज्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।