जौनपुर : Ex MP & Bahubali Dhananjay Singh said – जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने या न लड़ने को लेकर मैं किसी के दबाव में नहीं हूं। ना ही दिल्ली से किसी बड़े नेता का मुझे कोई फोन आया था एवं ना ही इस संबंध में कभी किसी से कोई मेरी मुलाकात हुई। इसलिए जो घटित हुआ है उसे लेकर अनायास की बेमतलब वाली कयासबाजी ना की जाए। अटकलें ना लगाएं। फिर कहता हूं कि मैं किसी के दबाब ने नहीं आया और ना ही बसपा में मेरी पत्नी श्रीकला को मिलने चुनावी टिकट को लौटाया बल्कि श्रीकला का टिकट काट दिया गया है।
जौनपुर में अचानक सियासी पारा हुआ हाई, कयासों के दौर हुए तेज, बदले समीकरण
Ex MP & Bahubali Dhananjay Singh की पत्नी श्रीकला सिंह रेड्डी का जौनपुर से चुनाव न लड़ने को लेकर सोमवार की सुबह से सियासी हलके में पारा हाई हो गया था। दिल्ली की सत्ता को जाने का मार्ग जिस यूपी से होकर गुजरता है उसके पूरबी हिस्से यानी पूर्वांचल यह खबर किसी सियासी भूचाल से कम नहीं रही। सियासी हलके में तमाम तरह की अटकलों का बाजार गर्म हो गया। कहा जाने लगा कि भाजपा की ओर से की जा रही लाबिंग के चलते यह सियासी घटनाक्रम हुआ है जिसमें Ex MP & Bahubali Dhananjay Singh की ओर से बसपा सुप्रीमो को ऐन नामांकन की अंतिम तिथि से पहले टिकट वापस कर दिया गया। यह भी खबर उड़ी कि टिकट वापसी के बाद सिटिंग सांसद श्याम सिंह यादव के बसपा की ओर से नामांकन किए जाने पर एक बड़े नेता का Ex MP & Bahubali Dhananjay Singh से मोबाइल पर संपर्क किया गया। लेकिन धनंजय सिंह खुद इसे सिरे से खारिज कर दिया है। बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला के चुनावी रेस से बाहर होने के बाद सीट पर सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं।
Dhananjay Singh की दो टूक – ‘बसपा सुप्रीमो से 2013 के बाद नहीं मिला, मैं चुनाव लड़ता तो निर्दलीय ही’
उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों को लेकर सियासत गरम हो गई है। Ex MP & Bahubali Dhananjay Singh ने आरोप लगाया कि हमारी ओर से बसपा का टिकट वापस नहीं किया गया है। बसपा और कई उम्मीदवारों का टिकट काट चुकी है, लेकिन चर्चा और सफाई केवल जौनपुर पर क्यों हो रही है। जौनपुर के बारे में भी इतने सवाल और इतनी चर्चाएं चौंकाने वाली हैं। मैं किसी के दबाव में नहीं आया हूं। सभी मेरे बारे में जानते हैं। मेरी और बसपा सुप्रीमो मायावती से आखिरी बार वर्ष 2013 में बातचीत हुई थी। उसके बाद से अबतक नहीं हुई। ऐसे में साफ है कि हमारी ओर से टिकट वापस करने की कोई पेशकश नहीं की गई। पूर्व सांसद Dhananjay Singh ने कहा कि ने कहा कि मुझे तो लड़ना नहीं है, मेरी पत्नी को चुनाव लड़ना है, ऐसे में उनकी राय भी लेना जरूरी है और अभी तो टिकट कटने से वो आहत हैं। इसी के साथ Dhananjay Singh ने कहा कि- ‘मैं कभी किसी के दबाव में नहीं आया। व्यवहार अलग बात हो सकती है। आप हमें व्यवहार में जीत सकते हैं, लेकिन दबाव में मैं कभी किसी से नहीं डरा। खासतौर से बसपा को तो ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। बसपा मेरा चरित्र जानती है इसलिए वो मुझ पर इस तरह का आरोप न लगाए’।
बेधड़क बोले Dhananjay Singh– ‘मैं चुनाव लड़ता तो निर्दलीय के रूप में ही लड़ता’
पत्नी श्रीकला के चुनाव मैदान से दूर होने पर धनंजय सिंह से पूछा गया कि अब उनके समर्थक किसे वोट करेंगे? जवाब में उन्होंने कहा कि मेरे समर्थक और मेरे वोटर किधर जाएंगे यह उनसे बात करने के बाद ही पता चलेगा। इसी के साथ पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह ने खुलकर कहा कि अगर मैं चुनाव लड़ता तो निर्दलीय ही लड़ता। उन्होंने इशारों ही इशारों में यह संकेत दे दिया कि वो चुनावी रेस से बाहर हो गए हैं और निर्दलीय चुनाव भी नहीं लडेंगे। Dhananjay Singh ने कहा कि जौनपुर के चुनाव को लेकर दिल्ली में मेरी किसी भी नेता से कोई बात नहीं हुई है। Dhananjay Singh ने कहा कि वर्ष 2012 में जब बीएसपी ने उनके साथ धोखा किया था तो उस समय जौनपुर जिले से उसे एक भी सीट नहीं मिली। फिर वर्ष 2014 में वह जेल से पैरोल पर बाहर आए चुनाव लड़ने के लिए, लेकिन बसपा ने किसी दूसरे उम्मीदवार से नामांकन करा दिया। साल 2014 के चुनाव बसपा को पूरे देश में एक भी सीट नहीं मिली थी। उसके बाद साल 2017 में मुझे बुलाकर फिर से बीएसपी ज्वाइन कराया गया और उसके बाद भी मेरे साथ बसपा ने ठीक व्यवहार नहीं किया।
जौनपुर में भाजपा की टिकट पर कृपाशंकर सिंह हैं मैदान में
जौनपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने कृपाशंकर सिंह उम्मीदवार घोषित किया है। समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है। बसपा ने श्रीकला की जगह श्याम सिंह यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जौनपुर में छठे चरण में 25 मई को मतदान है। उस दिन पूर्वांचल की पांच सीटों लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही में वोटिंग होनी है। बता दें कि नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कर रंगदारी मांगने के आरोप में जौनपुर की कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा सुनाई है जिसमें उन्हें जेल जाना पड़ा था और इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद पिछले हफ्ते जेल से रिहा हुए। हालांकि कोर्ट ने सजा पर रोक नहीं लगाई है इसलिए वह चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।