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Friday, March 29, 2024

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गंडक नदी बना घड़ियालों का बसेरा, 500 घड़ियाल लगा रहें हैं गोता

Bagaha-घड़ियालों का बसेरा-भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं में गंगा नदी को देवी और घड़ियाल को उनका वाहन माना गया है.

इन घड़ियालों के लिए वाल्मीकि नगर से निकलने वाली गंडक नदी सेफ जोन बन कर उभरा है.

एक अनुमान के अनुसार इस समय गंडक नदी में कम से कम 500 घड़ियालों का बसेरा है.

यह घड़ियालों के लिए सबसे अच्छा और सुरक्षित अधिवास केन्द्र के रुप में सामने आया है.   

घड़ियालों का बसेरा में छोड़ा गया आरा कैनाल से पकड़ा गया घड़ियाल

गंडक नदी बना घड़ियालों का बसेरा
घड़ियाल को लेकर जाते वन विभाग के कर्मी

यही कारण है कि रोहतास से पकड़े गए भारी-भरकम घड़ियाल गंडक नदी में छोड़ा गया.

इसे रोहतास जिले के नासरीगंज प्रखंड में सोन नहर से पकड़ा गया था.

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बेतिया डिवीजन के बगहा परीक्षेत्र वन पदाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि

नासिरगंज स्थित आरा कैनाल से  रेस्क्यू किये गये घड़ियाल की लंबाई 17 फीट और वजन 5 टन के आसपास थी.

आरा कैनाल बड़े घड़ियाल के लिए उपयुक्त नहीं है.

यही कारण है कि इसे बेतिया डिवीजन सौंपा गया था.

बेतिया डिवीजन में उसके स्वास्थ्य की जांच कर उसे धनहा स्थित

गौतम बुद्ध सेतु पुल के पास गंडक नदी में छोड़ दिया गया.

घड़ियालों का बसेरा-विश्व में पायी जाती घड़ियालों की तेईस प्रजातियां

यहां बतला दें कि विश्व में मगरमच्छ अथवा क्रोकोडायल की तेईस प्रजातियां है,

जिसमे भारत में केवल तीन प्रजातियां पाई जाती है.

पहला स्वच्छ जलीय मगरमच्छ दूसरा खारे पानी का मगरमच्छ और तीसरा घड़ियाल.

50 से 60 वर्ष पूर्व तक घड़ियाल भारत, नेपाल पाकिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान के नदियों में पाए जाते थे.

किंतु वर्तमान समय में ये प्राकृतिक रूप से भारत और नेपाल के कुछ ही नदियों तक ही सीमित हैं

रिपोर्ट-अनिल कुमार सोनी

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