Gaya के किसान करते हैं इस रामबाण की खेती, मूलतः उत्तराखण्ड में…

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Gaya: वजन चार ग्राम से भी कम और स्वास्थ्य के लिए रामबाण। यह एक फल है जिसका नाम है करौंदा। मूल रूप से इस फल की खेती पंजाब और उत्तराखंड में की जाती है जो सेहत के लिए रामबाण की तरह जाना जाता है। कहा जाता है कि करौंदा त्रिदोष नाशक होता है जिसकी खेती मूल रूप से उत्तराखंड और पंजाब में की जाती है। इसका बाजार में भी काफी मांग है और इसकी खेती करने वाले किसान काफी फायदा कमाते हैं। बाजार में मांग के अनुसार किसान इसका उत्पादन नहीं कर पाते हैं। अब इस फल की खेती गया में भी की जा रही है।

गया के टेकारी में कुछ किसानों ने इस फल की खेती शुरू की है। किसानों ने बताया कि हम लोग बाजारों में इस फल को बेचते हैं लेकिन दुकानदार इसका अच्छा पैसा नहीं देते हैं जबकि वे लोग इस फल को बड़े मुनाफे पर बाहर भेजते हैं। उन्होंने बताया कि इस फल के पौधे से वर्ष में दो बार फल मिलता है और एक पेड़ से करीब 20 से 25 किलो फल मिलता है।

क्या है करौंदा
करौंदा एक छोटा सा फल है जिसका वजन महज 4 ग्राम से भी कम होता। इसका स्वाद खट्टा मीठा होता है और लोग इसका अचार बना कर खाते हैं। यह फल चिकित्सकीय गुणों से भरपूर होता है और इसमें विटामिन ए, विटामिन सी और कैल्शियम फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है। यह फल किडनी की बीमारी में काफी फायदा करता है। इसका पेड़ करीब 7 फ़ीट का होता है जो कि झाड़ीदार और कांटेदार होता है।

खेतों के मेड़ पर लगाया है किसानों ने
किसानों ने बताया कि हमलोगों ने अपने खेत के मेड़ पर करौंदा का पेड़ लगाया है। इसकी लंबाई करीब 7 फ़ीट होती है और पेड़ कांटेदार होने से खेत में लगे दूसरे फसलों की भी रक्षा होती है। वहीं वर्ष में दो बार फसल निकलने से यह कम लागत में अधिक फायदेमंद होता है। किसानों ने कहा कि हमलोग पेड़ की नियमित देखभाल करते हैं ताकि किसी प्रकार का कोई नुकसान न हो। करौंदा का फल वर्ष में दो बार लगता है और एक पेड़ में करीब 20-25 किलो फल मिलता है। इसका बाजार में मूल्य 100 रूपये से 200 तक मिल जाता है।

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गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट

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