Hazaribagh : हजारीबाग खेती के लिए पूरे राज्य भर में जाना जाता है। यहां कई ऐसे युवक मिल जाएंगे जो खेती को उद्योग का दर्जा देने की कोशिश कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है रूपेश कुमार जिन्होंने विदेश में नौकरी करने के बाद खेती को ही अपना रोजगार बनाया और आज 40 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
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समाज में कई ऐसे लोग हैं जो प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं। उन्हें में एक है रुपेश कुमार जो पिछले कई सालों से घर से बाहर रहकर नौकरी कर रहे थे। आईटीआई का डिग्री लेने के बाद उन्हें वर्कशॉप इंजीनियर के पद पर म्यान्मार में नौकरी मिली। इसके पहले वह हैदराबाद समेत कई महानगरों में नौकरी भी किए। कोरोना के दौरान वे स्वदेश पहुंचे और खेती करना शुरू किया।
Hazaribagh : 13 एकड़ जमीन लीज पर लेकर कर रहे खेती
आलम यह है कि वर्तमान समय में 13 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं। जिले के सदर प्रखंड के चंदवार में खेती कर रहे हैं। हजारीबाग से चूरचू जाने वाले रोड में संत कोलंबस कॉलेज से लगभग 10 किलोमीटर दूर यह गांव है। मूल रूप से रूपेश हजारीबाग के खिरगांव मोहल्ले में रहते हैं।
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रूपेश बताते हैं कि कोरोना के दौरान हजारीबाग पहुंचे। घर वालों ने बाहर जाने को मना कर दिया। रोजगार के सारे रास्ते बंद हो गए। खेतीहर परिवार से संबंध रखने के कारण घर वालों ने उद्योग के तौर पर खेती करने का रास्ता दिखाया। शुरुआती दौर में कुछ जमीन लेकर खेती शुरू किया गया। जब इसमें मुनाफा दिखा और दिलचस्पी बढ़ा तो बड़े स्तर पर खेती करने का निर्णय लिया।
वर्तमान समय में 13 एकड़ जमीन भाड़े में लेकर खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ससुर पिछले 25 सालों से खेती कर रहे हैं। उनसे इन्होंने जानकारी इकट्ठा की और फिर इस व्यवसाय में जुट गए। कोशिश यही करते हैं कि जो भी फसल मौसम के अनुसार बाजार में आता है पहला फसल दे। उन्होंने बताया कि लगभग 7 एकड़ जमीन में मटर की खेती किए हैं।
बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत में पहुंचता है मटर
मटर सिर्फ हजारीबाग के बाजार ही नहीं बल्कि बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों तक पहुंच रहा है। शुरुआती दौर में 250 रुपया प्रति किलो के दर पर मटर बिकना शुरू हुआ। अभी 70 से 80 रुपए किलो बिक रहा है . व्यवसाई खेत तक पहुंचाते हैं और पैसा देकर मटर ले जा रहे हैं।
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सबसे खुशी की बात है कि खेती के जरिए व्यवसाय शुरू किया गया। 40 लोगों को रोजगार से जोड़ा गया है। सबसे अधिक महिलाएं काम कर रही है। जिससे गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है। उन्हें काम के लिए शहर नहीं जाना पढ़ रहा है। रूपेश का कहना है कि शहर के कई युवा खेती कर रहे हैं। खेती के दौरान समस्या का सामना भी पड़ता है। सभी युवा मिलजुल कर एक मंच में बैठे और समस्या पर चर्चा करें तो और भी अधिक मुनाफा वाला व्यवसाय खेती बन सकता है।
हजारीबाग से शशांक शेखर की रिपोर्ट—