हाथ पैरों से लाचार चांदनी अफसर बनने की इरादे से कर रही पढ़ाई

कोडरमा : हाथ पैरों से लाचार- दोनों हाथ नहीं और एक पैर से भी लाचार होने के बावजूद

कोडरमा के सतगावां की चांदनी न सिर्फ दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रही है

बल्कि पढ़ लिख कर एक बड़ा अफसर होने का सपना भी संजो रही है.

बचपन से नहीं है दोनों हाथ और एक पैर भी पोलियो ग्रस्त

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.

इन चंद पंक्तियों को कोडरमा के सतगावां प्रखंड के कानीकेंद की रहने वाली

चांदनी बखूबी चरितार्थ करती नजर आ रही हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि

जहां शारीरिक रूप से थोड़ी भी लाचार होने के कारण लोग हिम्मत हार जाते हैं, वही 11 साल की चांदनी के बचपन से दोनों हाथ नहीं होने और एक पैर भी पोलियो ग्रस्त है, बावजूद वह पांचवी कक्षा की शिक्षा ग्रहण कर रही है और आगे भी उसे पढ़ लिख कर शिक्षक बनना है, ताकि वह सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा का अलख जगा सके.

22Scope News

हाथ पैरों से लाचार: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चांदनी कर रही है पढ़ाई

फिलहाल चांदनी उग्रवाद प्रभावित सतगावां प्रखंड के कानीकेंद उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पांचवी कक्षा में पढ़ाई कर रही है और वह मेघावी होने के साथ-साथ पैरों से लिखने के बावजूद उसके हैंडराइटिंग देखने लायक है. घर से लेकर स्कूल तक लाचारी और बेबसी को चांदनी ने कभी अपने आड़े नही आने दिया. पढ़ाई लिखाई के प्रति चांदनी के लगन को देखते हुए उसका परिवार भी आर्थिक रूप से लाचार होने के बावजूद उसे पढ़ा लिखा कर बड़ा अफसर बनाने में जुटा है.

22Scope News

उपायुक्त ने विभिन्न योजनाओं के लाभ का दिया आश्वासन

चांदनी के पिता एक किसान हैं और अपनी बेटी की मेहनत और लगन के आगे अपना हर कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार भी है. इधर मीडिया से जानकारी मिलने के बाद उपायुक्त आदित्य रंजन ने तत्काल प्रखंड के बीडीओ से बात कर चांदनी का हाल-चाल लेने की बात कही और उसे पेंशन योजना के अलावे दूसरे योजनाओं का लाभ देने का आश्वासन दिया है.

हाथ पैरों से लाचार: जग को रोशन करने में जुटी चांदनी

चांदनी तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी है. सुदूरवर्ती इलाके में रहते हुए सीमित संसाधनों में शारीरिक लाचारी के बावजूद भी वह अपने मुकाम को हासिल करने में जुटी है. जिस शारीरिक लाचारी को चांदनी बचपन से झेल रही है वह शायद ही कोई एक भी दिन झेल पाए. बेबसी के बावजूद चांदनी अपने नाम की तरह है जग को रोशन करने में जुटी है.

रिपोर्ट: कुमार अमित

Share with family and friends: