Saturday, August 2, 2025

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वाराणसी कोर्ट का अहम फैसला : ज्ञानवापी परिसर में न सर्वे होगा, न खुदाई

डिजीटल डेस्क: वाराणसी कोर्ट का अहम फैसला : ज्ञानवापी परिसर में न सर्वे होगा, न खुदाई। बहुचर्चित काशी विश्वनाथ धाम से संबंधित ज्ञानवापी विवाद प्रकरण मेंमस्जिद परिसर के अतिरिक्त सर्वे की हिंदू पक्ष की अपील पर शुक्रवार को वाराणसी कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।

इस याचिका में मुख्य गुंबद के नीचे 100 फुट का शिवलिंग होने का दावा किया गया है। वहीं, मुस्लिम पक्ष मस्जिद में खुदाई का विरोध कर रहा है। इस फैसले से ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है।

हिंदू पक्ष की संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर के अतिरिक्त सर्वे की अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में न तो सर्वे होगा और न ही खुदाई होगी।

ज्ञानवापी विवाद में अब 33 साल बाद 18 पन्नों में आया फैसला

ज्ञानवापी मामले के मुख्य केस में 33 साल बाद ये फैसला 18 पन्नों में आया है। वाराणसी की एफटीसी कोर्ट नेज्ञानवापी परिसर के अतिरिक्त सर्वे की मांग खारिज कर दी है। इस केस से जुड़े मामले हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से युगल शंभू की कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज की।

बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। एएसआई सर्वे होने के बाद अतिरिक्त सर्वे की जरूरत पर कोर्ट ने सवाल किया था।

करीब 8 महीने तक इस मामले की सुनवाई चली थी। उसके बाद आज इस पर फैसला आ गया। हिंदू पक्ष अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है और मामले को लेकर हाई कोर्ट में जाने की तैयारी में है। वाराणसी कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष हाई कोर्ट में चुनौती देगा।

हिंदू पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी  कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से मुखातिब हुए।
हिंदू पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से मुखातिब हुए।

फैसले पर बोला हिंदू पक्ष – कोर्ट ने हमारी एक भी दलील नहीं सुनी, की अनदेखी

वर्ष 1991 के मूलवाद लॉर्ड विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के मामले में कोर्ट ने 18 पन्नों के अपने फैसले में हिंदू पक्ष की मांग ये कहते हुए खारिज कर दी कि इससे जुड़े मामले पहले से ही हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं।

हिंदू पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि कोर्ट ने हमारी किसी भी दलील को नहीं सुना। यहां तक कि 18 अप्रैल 2021 के फैसले की भी अनदेखी हुई। स्वाभाविक तौर पर उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाना तय किया है।

विजय शंकर रस्तोगी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे भगवान आदि विश्वेश्वर का 100 फीट का विशाल शिवलिंग और अरघा स्थित है, जिसका पेनीट्रेटिंग राडार की मदद से सर्वे किया जाना चाहिए। इसके अलावा वजूखाने और बचे हुए तहखानों के सर्वे की भी मांग की गई थी। मुस्लिम पक्ष ने इन मांगों का विरोध किया था।

विवादित ज्ञानवापी परिसर
विवादित ज्ञानवापी परिसर

वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष – दोनों ही हैं अपनी-अपनी दलीलें….

ज्ञानवापी विवाद को लेकर शुक्रवार को वाराणसी कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसके मूल मामले को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों की अपनी-अपनी दलीलें हैं।

हिंदू पक्ष ने दावा है कि- ‘मुख्य गुंबद के नीचे 100 फुट का शिवलिंग मौजूद है और परिसर के शेष स्थल की खुदाई कराकर एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए। यह मामला 1991 में सोमनाथ व्यास द्वारा दाखिल किए गए वाद से जुड़ा है।

हिन्दू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी के मुताबिक, सिविल सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट वाराणसी में केस संख्या 610, वर्ष 1991 के अंतर्गत लंबित है वाद में एएसआई सर्वे पहले ही हो चुका था लेकिन इस केस में 8 अप्रैल 2021 को एक आदेश पारित हुआ है।

उस आदेश के अनुपालन में कोई आदेश नहीं हुआ था, इसलिए मेरे द्वारा प्रार्थना पत्र दिया गया था कि संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर का अतिरिक्त सर्वे कराया जाए। जो पूर्व के सर्वे में नहीं हुआ है वह कराया जाए।

हम ऐसा करना चाहते हैं एक सर्वेक्षण कि केंद्रीय गुंबद के नीचे, स्वयंभू ज्योतिर्लिंग का 100 फीट लंबा शिवलिंग है और अरघा सौ फीट गहरा है। उन्होंने इसे बड़ी सीमाओं और पट्टियों से ढक दिया है और इसे अस्तित्वहीन कर दिया है। हम इसे प्रकाश में लाना चाहते हैं। न तो एएसआई और न ही जीपीआर सिस्टम वहां काम कर रहा था।

इसलिए मेरी अदालत से यही प्रार्थना थी कि इस संरचना से हटकर, इसे कोई नुकसान पहुंचाए बिना, 10 मीटर, 5 मीटर दूर गड्ढा खोदकर अंदर जाएं और उस स्तर पर देखें कि स्वयंभू विश्वेश्वर का ज्योतिर्लिंग, जिनके नाम से काशी जानी जाती है, जिनके नाम से काशी दुनिया में प्रसिद्ध है, ऐसे विश्वनाथ वहां मौजूद हैं या नहीं और उसके बारे में रिपोर्ट करें’।

दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने जज युगल शंभू से रस्तोगी की इस मांग को अव्यवहारिक बताया। मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद और अखलाक अहमद ने कहा कि एक तो 4×4 का ट्रेंच सौ फीट तक खोदना और फिर उतना नीचे जाकर जीपीआर सर्वे अव्यवहारिक और दूसरा ये कि किसी भी तरह की खुदाई पर कोर्ट की रोक है।

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि 1883-84 के स्थाई बंदोबस्त में प्लॉट संख्या 9130 के आगे अहले इस्लाम लिखा है। मुस्लिम पक्ष का ये सबसे मजबूत दावा था कि ज्ञानवापी का मालिकाना हक उनके पास है। इसी आधार पर दीन मोहम्मद के मामले में मुस्लिम पक्ष की जीत हुई थी।

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