शेयर बाजार में निवेशकों के डूबे 6 लाख करोड़ रुपये, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का असर

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डिजीटल डेस्क : शेयर बाजार में निवेशकों के डूबे 6 लाख करोड़ रुपये, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का असर। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का ऐसा अभूतपूर्व असर भारतीय शेयर बाजार पर पहले कभी नहीं देखा गया जैसा कि सोमवार को दिखा।

शेयर बाजार औंधे मुंह गिरा और पलक झपकते ही निवेशकों के 6 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बाजार में इस गिरावट ने कारोबारियों और निवेशकों को हिलाकर रख दिया है।

निवेशक नहीं भूल पाएंगे 4 नवंबर 2024 की तारीख

4 नवंबर 2024 की तारीख को भारत के निवेशक बिल्कुल भी भी नहीं भूल पाएंगे। सोमवार को सेंसेक्स 941.88 अंकों की गिरावट के साथ 78,782.24 अंकों पर बंद हुआ।

कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 1500 अंकों की गिरावट के साथ 78,232.60 अंकों के लोअर लेवल पर भी पहुंचा तो दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 309 अंकों की गिरावट के साथ 23,995.35 अंकों पर बंद हुआ।

कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी 23,816.15 अंकों के साथ दिन के लोअर लेवल पर भी पहुंचीय़ इस गिरावट की वजह से निवेशकों के 6 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का भारतीय बाजार से कनेक्शन, 20 साल में पहली बार मची तबाही

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दिन भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। खास बात तो ये है कि वर्ष 2004 से लेकर 2016 तक कभी भी ऐसा देखने को नहीं मिला।

उस दौरान जॉर्ज डब्ल्यू बुश से लेकर, बराक ओबामा, ट्रंप और बाइडेन तक चुनावी मैदान में उतरे थे। लेकिन ऐसा कभी भी नहीं देखने को मिला था। इस बार यानी वर्ष 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दिन सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली।

ये भी बात सच है कि इन 20 बरसों में अमेरिकी चुनाव में ऐसी अस्थिरता भी कभी नहीं देखी गई। 2004 में सभी को पता था कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश सत्ता में काबिज हो रहे हैं। फिर 2008 में भी बराक ओबामा की जैसे एक लहर थी। उसके बाद भी बराक ओबामा को लेकर कोई शक नहीं था।

वर्ष 2016 में डोनाल्ड ट्रंप का आना भी कोई अप्रत्याशित नहीं था और रिपब्लिकन काफी समय से सत्ता से बाहर थे। वर्ष 2020 में लड़ाई भले ही तगड़ी थी, लेकिन सभी को इस बात की उम्मीद थी कि जो बाइडेन सत्ता में आएंगे।

लेकिन इस बार कमला हैरिस और ट्रंप दोनों के बीच कड़ी टक्कर बताई जा रही है एवं कोई भी नहीं जानता कि सत्ता में कौन लौट रहा है। यही वजह है कि ग्लोबल शेयर बाजार के साथ-साथ भारत के शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली।

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