Jharia: झारखंड सरकार हर साल शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है, लेकिन दूसरी ओर स्कूल की बदहाली की तस्वीर इन सारे दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। दरअसल, जर्जर स्कूल भवन, छत से टपकता पानी, टूटी हुई छज्जे और दीवारों का साथ छोड़ता प्लास्टर, बदहाली की यह तस्वीर धनबाद जिले के राजकीय डीएवी उच्च विद्यालय टासरा की है, जो झारखंड सरकार की उदासीनता को दर्शाती है।
Jharia: जान जोखिम में डालकर पढ़ने आते बच्चे!
यहां बच्चे पढ़ने तो आते हैं, लेकिन अपनी जान को हथेली पर रखकर आते हैं। कई कक्षाओं का छज्जा टूटा हुआ है तो कई कक्षाओं से पानी टपकता है। मिड डे मील के लिए आए राशन भी बारिश में जर्जर भवन होने के कारण पानी टपकाने से भीग कर बर्बाद हो जाता है। छात्रों की माने तो बारिश होने से छत और दीवार पूरी तरह से भीग जाती है। पढ़ाई तो प्रभावित होती ही है, करंट भी लगने का डर बना रहता है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। इतने बद से बदतर है कि बच्चे दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
Jharia: दर्जनों स्कूल का हाल बदहाल
जिले में कुल 170 सरकारी स्कूल है, जिसमें से दर्जनों स्कूल का हाल बदहाल है। कुछ स्कूलों में बारिश होने से पढ़ाई बाधित हो जाती है तो कई स्कूलों में जर्जर भवन के कारण कक्षाएं को मिलाकर पढ़ाई करवाई जाती है। बदहाली का आलम ऐसा है कि इसकी तस्वीर न तो सरकार को दिखाई देती है और न ही यहां के अधिकारी को। हालांकि कार्रवाई की बात तो सभी करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि आज भी यहां के अधिकारी और सरकार शायद हादसे का इंतजार कर रही है।
मनोज शर्मा की रिपोर्ट
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