रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने सरहुल पर 10 से 12 घंटे की बिजली कटौती पर कड़ी नाराजगी जताते हुए इसे अनिवार्य सेवा बताया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई की और निर्देश दिया कि रामनवमी व मुहर्रम जुलूस के दौरान बिजली कटौती नहीं की जाएगी।
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अदालत ने दिए सख्त निर्देश:
जुलूस के दौरान झंडों की लंबाई व चौड़ाई निर्धारित करने का निर्देश, ताकि वे बिजली तारों से न टकराएं।
जेबीवीएनएल से पूछा गया कि सरहुल पर इतनी लंबी बिजली कटौती क्यों की गई।
अदालत ने भविष्य में त्योहारों के दौरान अनावश्यक बिजली कटौती न करने का निर्देश दिया।
बिजली कटौती से अस्पताल और व्यापार पर असर:
बिजली कटौती से बुजुर्गों, मरीजों, गर्भवती महिलाओं और छात्रों को परेशानी होती है।
व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद होने से राजस्व का नुकसान होता है।
सरकारी और निजी अस्पतालों में भी इलाज प्रभावित होता है।
महाधिवक्ता का तर्क, कोर्ट ने किया खारिज:
राज्य के महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि वर्ष 2000 में बिजली तार से 29 लोगों की मौत हुई थी, इसलिए जुलूस के दौरान बिजली काटी जाती है। अदालत ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि हादसा रोकने के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, न कि बिजली सप्लाई बंद की जाए।
सड़कों की मरम्मत में देरी पर सरकार पर 10 हजार का जुर्माना:
शहर की सड़कों की मरम्मत में देरी को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया।
अदालत ने सरकार को यह राशि झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) में जमा करने का आदेश दिया।