नई दिल्ली : भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले की आज जयंती है. तीन जनवरी,
1831 को जन्मीं सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्या और
पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थीं. सावित्रीबाई ने अपना पूरा जीवन एक मिशन की तरह व्यतीत किया.
उनका जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव नामक छोटे से गांव में हुआ था. सावित्रीबाई फुले भारत
के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थीं.
9 साल की उम्र में ज्योतिबा फुले के साथ हुई शादी
महज 9 साल की छोटी उम्र में पूना के रहने वाले ज्योतिबा फुले के साथ उनकी शादी हो गई. विवाह के
समय सावित्री बाई फुले पूरी तरह अनपढ़ थीं, तो वहीं उनके पति तीसरी कक्षा तक पढ़े थे.
जिस दौर में वो पढ़ने का सपना देख रही थीं, तब दलितों के साथ बहुत भेदभाव होता था.
उस वक्त की एक घटना के अनुसार एक दिन सावित्री अंग्रेजी की किसी किताब के पन्ने पलट रही थीं,
तभी उनके पिताजी ने देख लिया. वो दौड़कर आए और किताब हाथ से छीनकर घर से बाहर फेंक दी.
इसके पीछे ये वजह बताई कि शिक्षा का हक़ केवल उच्च जाति के पुरुषों को ही है,
दलित और महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करना पाप था. बस उसी दिन वो किताब वापस लाकर प्रण
कर बैठीं कि कुछ भी हो जाए वो एक न एक दिन पढ़ना जरूर सीखेंगी.
सावित्रीबाई फुले: लड़कियों के लिए खोले 18 स्कूल
वही लगन थी कि एक दिन उन्होंने खुद पढ़कर अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ मिलकर लड़कियों
के लिए 18 स्कूल खोले. बता दें, साल 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी.
वहीं, अठारहवां स्कूल भी पुणे में ही खोला गया था. उन्होंपने 28 जनवरी, 1853 को गर्भवती,
बलात्कार पीड़ितों के लिए गृह की स्थापना की.
जर्जर हालत में देश का पहला बालिका स्कूल
महिलाओं को सुशिक्षित बनाने के लिए साल 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में उन्होंने देश के पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी.
ये स्कूल पुणे में है, लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर की हालत बेहद खराब है. पुराने पुणे शहर में भिड़ेवाड़ा
में महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने 175 साल पहले महिला स्कूल शुरू किया था,
लेकिन बरसों से ये स्कूल बंद है और इसकी हालत देख लगता है कि किसी भी पल ये इमारत ढह जाएगी.
आजादी से पहले जब गिनी चुनी महिलाएं ही पढ़ाई कर पाती थी, उस जमाने में गरीब तबके की महिलाओं
को पढ़ाकर सशक्त बनाने के मकसद से ये स्कूल स्थापित किया गया था. इस स्कूल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग भी उठी.
लेकिन आज इसकी हालत दयनीय है.
कौन थीं सावित्रीबाई फुले
सावित्री बाई फुले देश की पहली महिला शिक्षक और समाज सेविका थीं. वह भारत के पहले बालिका विद्यालय
की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थीं. जब वह महज 9 वर्ष की थीं जब उनका
विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले से कर दिया गया था. जिस समय सावित्रीबाई फुले की शादी हुई थी
उस समय वह अनपढ़ थीं. वहीं, उनके पति तीसरी कक्षा में पढ़ते थे. यह वो दौर था जब सावित्रीबाई पढ़ने का सपना देख रहीं थी उस समय दलितों के साथ बहुत भेदभाव होता था.