Tuesday, October 14, 2025
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Bihar election 2025: राजद ने अपने उम्मीदवारों को टिकट देना किया शुरू, सीट शेयरिंग पर महागठबंधन में मंथन जारी

Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने प्रत्याशियों को टिकट देना शुरू कर दिया है। इस्लामपुर से पार्टी ने राकेश कुमार रोशन को टिकट दिया है। वहीं डॉ. संजीव को परबत्ता सीट से, जबकि बोगो सिंह को मटिहानी सीट से मैदान में उतारा है। लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में यह टिकट वितरण की प्रक्रिया चल रही है।Bihar election 2025: राजद उम्मीदवारों की सूचीविधानसभा सीट उम्मीदवार का नामइस्लामपुर राकेश कुमार रोशनपरबत्ता डॉ. संजीवमटिहानी बोगो सिंहसाहेबपुर कमाल ललन यादवसंदेश अरुण यादवBihar election 2025: सीट शेयरिंग पर मंथन जारी हालांकि, महागठबंधन में अब तक सीट शेयरिंग को लेकर औपचारिक घोषणा...

क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पटना में 12 नवंबर को पासपोर्ट अदालत का होगा आयोजन

पटना. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के अधीन क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, पटना द्वारा एक विशेष पासपोर्ट अदालत का आयोजन 12 नवंबर 2025 (बुधवार) को किया जाएगा। यह अदालत सुबह 09:30 बजे से लेकर दोपहर 04:30 बजे तक पब्लिक हॉल, द्वितीय तल, डी-ब्लॉक, मौर्य लोक कॉम्प्लेक्स, पटना-800001 में आयोजित होगी।इसको लेकर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, पटना ने कहा कि पासपोर्ट कार्यालय, पटना एवं विदेश मंत्रालय, पासपोर्ट सेवा परियोजना के माध्यम से नागरिकों को सुलभ, कुशल और समयबद्ध तरीके से सेवाएं प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। 12 नवंबर, 2025 को आयोजित होने वाला पासपोर्ट अदालत इसी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।पासपोर्ट अदालत में...

Bokaro: मां-बेटे को 15 महीने तक बंधक बनाकर रखा, अब पुलिस ने कराया मुक्त

Bokaro: सेक्टर 6 थाना क्षेत्र के क्वार्टर नंबर 2517 में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मां और बेटे को करीब 15 महीने तक बंधक बनाकर रखा गया था। पुलिस ने सूचना मिलने पर दोनों को मुक्त कराया। यह घटना संतोष कुमार महतो और उनकी मां सीता देवी की है, जो चास के बंसीडीह निवासी हैं। Bokaro: ये था विवाद थाना प्रभारी संगीता कुमारी ने बताया कि उन्हें मामले की सूचना टेलीफोन से मिली थी। तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस मौके पर पहुंची और मां-बेटे को बंद कमरे से मुक्त कराया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि संतोष कुमार...

ईडी की नोटिस के बाद आक्रमक हुए हेमंत, आर पार की लड़ाई की शुरुआत

Ranchi-ईडी की नोटिस के बहाने- पिछले कुछ महीनों से भाजपा और जेएमएम के बीच का लुकाझुपी का खेल अब समाप्त होने को है, झामुमो अब इस लड़ाई को सड़क ले जाने का मन बना चुकी है. ईडी की नोटिस के बहाने जेएमएम अपने कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाने में जुट गयी है, उसकी कोशिश ईडी की नोटिस को हथियार बना सुस्त पड़े सांगठनिक ढांचें को दुरस्त करने की है. यही कारण है कि जेएमएम अब इस लड़ाई को आर पार देने के मुड में है.

Hemant Jharkhand 22Scope News
ईडी की नोटिस के बाद आक्रमक हुए हेमंत, आर पार की लड़ाई की शुरुआत 4 22Scope News

ईडी की नोटिस के बहाने कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतार संगठन विस्तार करना चाहती है जेएमएम

राज्य की बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय के आने वाले हेमंत सोरेन अब इस लड़ाई को आदिवासी मूलवासियों की अस्मिता से जोड़ने की कोशिश में जुटे है, उनकी कोशिश इसी बहाने भाजपा को एक बार फिर से नेपत्थ में ढकलने की है. मुख्यमंत्री आवास के समक्ष जेएमएम कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जब हेमंत भाजपा को निशाने पर लेते हुए ईडी को अपनी गिरफ्तारी की चुनौती देते हैं, तो यह अकारण या अनायास नहीं है, यह पूरी तरह से एक सुनियोजित रणनीति है. उनकी कोशिश इसी बहाने अपने कार्यकर्ताओं को मोबिलाईज करने की है,

आखिरी वक्त में बदली गयी रणनीति, चुना गया प्रतिकार का रास्ता

यही कारण है कि कल तक ईडी कार्यालय में पेश होने की तैयारी करने वाले हेमंत सोरेन आखिर वक्त में अपनी रणनीति में बदलाव कर इसे भाजपा के विरुद्ध एक हथियार बनाने की कोशिश की. हेमंत की कोशिश राज्य के कोने से कोने में अपने समर्थकों के बीच यह राजनीतिक मैसेज देने की है कि भाजपा ईडी के बहाने हेमंत का शिकार करना चाहती है.

देश के आदिवासी समूहों से भाजपा के विरोध में खड़ा होने की अपील

यही कारण है कि हेमंत पूरे दम खम के साथ ना सिर्फ ईडी को चुनौती दे रहे हैं,

बल्कि देश के आदिवासी समूहों और खास कर गुजरात के आदिवासी समूहों से

भाजपा के विरुद्ध सीधी लड़ाई की शुरुआत करने का आह्वान किया है.

अब हेमंत की कोशिश पूरे देश में आदिवासी समूहों के बीच

भाजपा को एक आदिवासी-मूलवासी विरोधी राजनीतिक जमात के रुप में खड़ा करने की है,

इसके पहले ही हेमंत कई मौके पर यह कह चुके हैं कि

भाजपा आदिवासियों को सिर्फ प्रतीकात्मक पद देकर उसका मत प्राप्त करना चाहती है,

जबकि उसकी पूरी राजनीति और

निर्णय आदिवासी मूलवासियों को विरुद्द में होती है.

उसका नीतियां आदिवासी मूलवासियों के विरुद्ध में होती है.

महज कोई विशेष पद किसी आदिवासी समुदाय को देकर उसका समग्र विकास नहीं किया जा सकता,

उसके लिए आदिवासियों के पक्ष में नीतियों का निर्माण की जरुरत पड़ेगी,

लेकिन भाजपा यही नहीं कर सकती,

यही कारण है सदना धर्म कोड का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.      

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