रांची : धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर मंदिर से 10 साल बाद नये रथ पर भगवान जगन्नाथ सवार होंगे.
इसका निर्माण 45 दिनों में किया गया है. पुरी से आये कारीगरों ने इस रथ का निर्माण किया है.
रथ पर पीतल का कलश और नीलचक्र लगाया गया है.
लगभग 40 लाख रुपए की लागत से नया रथ तैयार हुआ है. रथ पर लगनेवाला कपड़ा पुरी से मंगाया गया है. आज इसी रथ पर सवार होकर भगवान आज मौसीबाड़ी जायेंगे.
जानिए खासियत
- 10 साल बाद नये रथ का कराया गया निर्माण
- 40 लाख की लागत से तैयार हुआ नया रथ
- 45 दिनों में तैयार हुआ रथ
- पुरी से कारीगरों ने किया निर्माण
- 42 फीट ऊंचाई, 26 फीट लंबाई और चौड़ाई है रथ की
- रथ पर लगाया गया पीतल का कलश और नीलचक्र
- पुरी से मंगाया गया रथ पर लगनेवाला कपड़ा
एकांतवास से बाहर आये भगवान जगन्नाथ
15 दिनों बाद एकांतवास से बाहर आये भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के दर्शन पाकर भक्त भावविभोर हो उठे. यहां दोपहर से भगवान जगन्नाथ समेत तीनों विग्रहों के नेत्रदान की तैयारी शुरू कर दी गयी थी.
आज प्रातः चार बजे हुई पूजा
रथयात्रा के दिन शुक्रवार को प्रातः चार बजे भगवान की पूजा-अर्चना की गयी. इसके बाद श्रृंगार और आरती कर भगवान को भोग लगाया गया. इसके बाद पट आम भक्तों के लिए खोल दिया गया. दोपहर 12 बजे अन्न भोग लगेगा और दो बजे पट बंद हो जायेगा.
10 जुलाई को घुरती रथ मेला
नौ दिनों तक मौसीबाड़ी में रहने के बाद हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान जगन्ना, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा पुनः रथ पर सवार होकर मुख्यमंदिर लौटेंगे, जहां से उनके सभी विग्रहों को मुख्य मंदिर में ले जाया जायेगा. यहां मंगल आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिये जायेंगे. इसी के साथ रथयात्रा और मेला का समापन हो जायेगा.
मिठाई और पकवानों की सजी दुकान
कोरोना के कारण दो साल बाद यहां मेला लगा है. यहां मिठाई से लेकर पकवान तक दुकान सज चुकी है. जिसे लोगों में उत्साह है. यहां तरह-तरह के झूले लगाये गये हैं. वहीं, रोजमर्रा के सामान क दुकानें सजी हैं. दुकानों में मछली मारने की बंसी, कुमनी व जाल के अलावा लकड़ी व पत्थर के समान, बच्चों के खिलौने, साड़ी, छाता आदि उपलब्ध है.