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रामचरित मानस विवाद में कूदे मांझी कुछ चौपाइयों को बताया गलत

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उत्तर प्रदेश और बिहार में रामचरित मानस को लेकर बवाल मचा हुआ है.

बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के बयान और यूपी के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी के बाद देश भर में विवाद चल रहा है.

इस बीच बिहार में रामचरित मानस को लेकर छिड़े विवाद में अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की भी एंट्री हो गई है उन्होंने कई चौपाइयों पर घोर आपत्ति जताई है.

कुछ पंक्तियों को गलत ठहराते हुए उसे हटा देने की बात कही

गरीब संपर्क यात्रा को लेकर नवादा पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने रामायण में कुछ पंक्तियों को गलत ठहराते हुए उसे हटा देने की बात कही है.

मांझी ने कहा कि रामचरित मानस पूज्य महाकाव्य है, वो इसे मानते हैं. रामायण से ही रामचरित मानस का सृजन हुआ है.

उन्होंने कहा कि रामायण को वाल्मीकि ने लिखा है. लेकिन आज वाल्मीकि की जयंती क्यों नहीं मनाई जाती.

उनकी पूजा क्यों नहीं होती है, लोग उनके बारे में क्यों नहीं बोलते. रामायण में बहुत अच्छी बातें हैं. जिसको जीवन में उतारा जा सकता है.

लेकिन कुछ ऐसी भी बातें हैं, जिसे या तो मिटा दिया जाना चाहिए या जो रामायण के मर्मज्ञ हैं उन्हें वह काट देना चाहिए.

राजनीति के लिए यह अच्छा महाकाव्य

जीतनराम मांझी ने कहा कि हम रामचरित मानस को खराब नहीं कह सकते क्योंकि उसमें बहुत ही अच्छी अच्छी बातें लिखी हुई हैं.

हम जहां जाते हैं वहां रामायण की ही बात करते हैं इससे अच्छा महा ग्रंथ कोई हो ही नहीं सकता है. राजनीति के लिए यह अच्छी महाकाव्य है.

इसमें कहा गया है कि दूसरों की भलाई करने से पुण्य होता है. रामचरित मानस की चौपाइयां पर आपत्ति जताते हुए

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी पंक्तियां है जिसके चलते लोग कुछ करते हैं, लेकिन हम नहीं समझते कि कुछ करना चाहिए.

उनका कहना है कि हमें हंस की तरह होनी चाहिए. जैसे हंस पानी से दूध निकालकर पी लेता है

वैसे ही हमें रामचरित मानस से दूध और पानी को अलग कर लेना चाहिए.

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