चतरा में पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर नक्सलियों ने पिता-पुत्र की कर दी हत्या

चतरा

चतरा. लोकसभा चुनाव के समाप्त होते ही प्रतिबंध टीएसपीसी नक्सलियों ने बड़ी घटना को अंजाम देकर पुलिस प्रशासन को एक बार फिर खुली चुनौती दी है। नक्सलियों के विरुद्ध मोर्चा खोलने वाले कुंदा थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित हिंदियाकला गांव के पिता-पुत्र की नक्सलियों ने हत्या कर पूरे जिले में दहशत का माहौल कायम कर दिया है।

चतरा में पिता-पुत्र की हत्या

मिली जानकारी के अनुसार, घटना को अंजाम देने से पूर्व करीब तीन दर्जन से अधिक की संख्या में पहुंचे टीएसपीसी नक्सलियों के दस्ते ने पिता बीफा उरांव और पुत्र पंकज बिरहोर को अपने कब्जे में लेकर पहले उनकी बेरहमी से पिटाई की और फिर गोली मार कर दोनों को मौत के घाट उतार दिया। दो लोगों की हत्या से पूरे इलाके में सनसनी है। मृतक विलुप्तप्राय आदिम जनजाति परिवार के हैं।

दरअसल, बीते कुछ महीनों पूर्व जिले के निवर्तमान डीसी कुंदा प्रखंड पहुंचे थे, जहां पर आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों का हालत जानने डीसी हिंदियाकला गांव भी पहुंचे थे। जहां बिरहोर परिवारो को कच्चे और जर्जर मकानों में रहता देख उन्हें अबुआ आवास योजना के तहत रहने के लिए पक्का मकान मुहैया करवाया था। इसके निर्माण कार्य का देखरेख मृतक बिफा उरांव का भाई वैद्य बिरहोर कर रहा था।

इसी दौरान टीएसपीसी नक्सलियों ने उससे प्रत्येक आवास के बदले दस-दस हजार रुपये लेवी मांगा था। जिसे देने से वैद्य बिरहोर ने न सिर्फ इंकार किया था बल्कि ग्रामीणों के सहयोग से मृतक पंकज व उसके पिता ने मंटू गंझू नामक नक्सली को हथियार के साथ पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था।

इसके अलावा नक्सलियों को गांव में लाने में सहयोग करने वाले सुदेश्वर यादव नामक एक अन्य व्यक्ति को भी पुलिस ने पड़कर जेल भेज दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि इसी से बौखलाए नक्सलियों ने पिता पुत्र की निर्मम हत्या जैसी घटना को अंजाम दिया है।

घटना की सूचना के करीब 12 घंटे के बाद भी पुलिस की टीम मौके पर नहीं पहुंच सकी। घटना से करीब 5 किलोमीटर दूर बौरा गांव में रखकर एसपी विकास पांडे और सिमरिया एसडीपीओ अजय कुमार केशरी के अलावे अन्य पुलिस पदाधिकारी स्थिति का जायजा लेते नजर आए। पुलिस के पदाधिकारी मुख्यालय के निर्देश पर सुरक्षा कर्म से घटनास्थल तक नहीं पहुंचने की बात कही।

हत्याकांड पर चतरा एसपी बोले

हालांकि इस पूरे मामले में वरीय पुलिस पदाधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। हालांकि एसपी विकास पांडे ने इतना जरूर कहा है कि पिता पुत्र की हत्या की घटना में संयुक्त नक्सलियों के धर पकड़ को लेकर इलाके की घेराबंदी की जा रही है। उनका कहना है कि किसी भी हालत में नक्सलियों को बख्सा नहीं जाएगा।

घटना के बाद मृतक के परिजनों ने गांव में पुलिस पिकेट बनाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में पूर्व से ही विभिन्न नक्सली संगठनों का वर्चस्व रहा है। यह गांव कुंदा और प्रतापपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित घोर नक्सल प्रभावित इलाके में है।

इस इलाके में नक्सली गतिविधि की सूचना पर जब तक पुलिस पार्टी की टीम मौका ए वारदात पहुंचती है तब तक नक्सली घटना को अंजाम देकर बड़े आराम से निकल जाते हैं। इसके कारण ग्रामीण दहशत में जीने को विवश है। फिलहाल दोनों मृतकों के शव को पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों के सहयोग से मंगवाकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजे जा रहे हैं।

चतरा में नक्सलियों की दहशत

बहरहाल लोकसभा चुनाव के संपन्न होते ही नक्सलियों के बढ़ते मनोबल और पुलिस मुखबिरी के आरोप में पिता पुत्र की हत्या की घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। परिवार के लोग और ग्रामीण पुलिस प्रशासन की ओर सुरक्षा की निगाह लगाए हुए हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस प्रशासन की टीम हिंदियाकला गांव के विलुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है।

चतरा से सोनु भारती की रिपोर्ट

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