रांची: झारखंड में डीजीपी अनुराग गुप्ता के सेवा काल को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच चल रहे टकराव ने नया मोड़ ले लिया है। अब राज्य के प्रधान महालेखाकार (पीएजी) कार्यालय ने अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल 2025 से सेवानिवृत्त मानते हुए उनकी सैलरी शून्य कर दी है। एजी ऑफिस ने डीजीपी गुप्ता और प्रोजेक्ट बिल्डिंग ट्रेजरी को इसकी आधिकारिक जानकारी भेज दी है। पे-स्लिप शून्य होने के बाद अब उनका वेतन ट्रेजरी से निर्गत होना संभव नहीं दिख रहा है।
अनुराग गुप्ता को राज्य सरकार ने पहली बार 26 जुलाई 2024 को अजय कुमार सिंह की जगह प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया था। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया और 10 अक्टूबर 2024 को गुप्ता को हटा दिया गया। चुनाव समाप्त होते ही 28 नवंबर को फिर से अजय कुमार सिंह को हटाकर गुप्ता को डीजीपी का प्रभार दिया गया।
इसके बाद 8 जनवरी 2025 को राज्य सरकार ने डीजीपी नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाई और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक चयन समिति गठित की। समिति की सिफारिशों के आधार पर 3 फरवरी 2025 को अनुराग गुप्ता को एक बार फिर डीजीपी नियुक्त कर दिया गया।
लेकिन केंद्र सरकार ने 22 अप्रैल 2025 को पत्र भेजकर अनुराग गुप्ता की सेवानिवृत्ति तिथि 30 अप्रैल तय करते हुए उन्हें पदमुक्त करने का निर्देश दिया। केंद्र ने साफ कहा कि एआईएस (डीसीआरबी) नियमावली 1958 के नियम 16(1) के अनुसार, आईपीएस अधिकारी 60 वर्ष की आयु में रिटायर होता है और सेवा विस्तार का अधिकार केवल केंद्र के पास है, जो इस मामले में दिया नहीं गया है।
राज्य सरकार ने केंद्र को नियमों का हवाला देते हुए गुप्ता को पद पर बनाए रखने का जवाब भेजा था, जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया और राज्य सरकार के फैसले को अवैध करार दिया। अब एजी ऑफिस के ताजा कदम से मामला और गरमा गया है।
इस विवाद ने राज्य की राजनीति में भी हलचल बढ़ा दी है और डीजीपी की नियुक्ति को लेकर राज्य-केंद्र के रिश्तों में तल्खी और गहरी होती दिख रही है।