14-15 अक्टूबर पुष्य नक्षत्र का संयोग, मंगल-पुष्य और बुध-पुष्य योग से धन, संपत्ति और निवेश में वृद्धि, खरीदी और पूजा के लिए शुभ।
पुष्य नक्षत्र 14-15 अक्टूबर रांची : 14 अक्टूबर, मंगलवार और 15 अक्टूबर, बुधवार को पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दौरान की गई खरीदी और निवेश शुभ और स्थायी फलदायी माने जाते हैं। ज्योतिविंद पंडित आनंदशंकर व्यास का कहना है कि मंगल-पुष्य योग धन व संपत्ति में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है, वहीं बुध-पुष्य योग सभी कार्यों में सफलता सुनिश्चित करता है।
Key Highlights:
14 अक्टूबर, मंगलवार, सुबह 11:53 से 15 अक्टूबर, बुधवार, दोपहर 12 बजे तक पुष्य नक्षत्र का संयोग।
मंगल-पुष्य योग धन व संपत्ति में वृद्धि का कारक, बुध-पुष्य योग सभी कार्यों में सफलता सुनिश्चित करता है।
शुभ मुहूर्त: चर, लाभ, अमृत (सुबह 11:54–1:33), शुभ दोपहर (3–4:26), लाभ (7:26–9:00), रात 10:33–सुबह 3:14।
खरीदारी के लिए श्रेष्ठ: सोना, चांदी, वाहन, संपत्ति और कीमती वस्तुएं।
व्यापारियों, गृहस्थों, किसानों और गृहिणियों के लिए विशिष्ट शुभ क्रियाएँ और सलाह।
धार्मिक कार्य और माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु की पूजा से घर में स्थायी समृद्धि।
पुष्य नक्षत्र 14-15 अक्टूबर: पुष्य नक्षत्र का समय:
प्रारंभ: 14 अक्टूबर, मंगलवार, सुबह 11:53 बजे
समाप्ति: 15 अक्टूबर, बुधवार, दोपहर 12:00 बजे
पुष्य नक्षत्र 14-15 अक्टूबर: शुभ मुहूर्त
चर, लाभ, अमृत: सुबह 11:54 – दोपहर 1:33
शुभ दोपहर: 3:00 – 4:26
लाभ: शाम 7:26 – रात 9:00
शुभ, अमृत, चर: रात 10:33 – सुबह 3:14 (15 अक्टूबर)
पुष्य नक्षत्र 14-15 अक्टूबर: खरीदी और निवेश के लिए शुभ
किसान: कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर, ट्रॉली, कल्टीवेटर, प्लाऊ, पंजा, रोटावेटर।
व्यापारी: नया व्यापार शुरू करना, व्यापार से जुड़े उपकरण, मंगल और बुध दोनों दिन शुभ।
छात्र/छान्न: कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, किताबें।
गृहस्थ: इलेक्ट्रॉनिक/इलेक्ट्रिक उपकरण, वाहन, प्लॉट, भवन।
गृहिणी: सोना, चांदी, प्लेटिनम, श्रृंगार सामग्री।
पुष्य नक्षत्र 14-15 अक्टूबर:
विशेष रूप से, सोना-चांदी, संपत्ति और वाहन की खरीदारी के लिए यह नक्षत्र श्रेष्ठ माना जाता है। निवेश, नए व्यवसाय और बहीखाते शुरू करने के लिए भी यह समय बहुत लाभकारी है। धार्मिक कार्यों के लिए माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ है।
पंडित अजयकृष्ण शंकर व्यास बताते हैं कि पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा माना जाता है और इसके स्वामी शनि हैं। इस दौरान किए गए कार्यों में निरंतर वृद्धि होती है और यह धन, समृद्धि और सफलता का कारक माना जाता है।
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