डिजिटल डेस्क : बांग्लादेश-हिंसा पर RSS ने जताई गंभीर चिंता, कहा- हम वहां के हिंदू वर्ग के साथ…। बांग्लादेश में जारी हिंसा और उसकी चपेट में आ रहे वहां के अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं की हालत पर RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने शनिवार को खुलकर गंभीर चिंता जाहिर की।
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RSS ने साफ तौर पर खुद को बांग्लादेश में हिंसा पीड़ित हिंदू वर्ग के साथ बताया। शनिवार को बंगलुरू में RSS के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि – ‘…बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यकों-विशेषकर हिंदू वर्ग पर हिंसा-अत्याचार की घटनाएं घटित हुई हैं, उसमें वहां के सरकार और संस्थानों का भी हाथ जो गंभीर चिंता का विषय है।
…हम बांग्लादेश के हिंदू वर्ग के साथ एकजुटता दिखाते हैं। …हमने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता जताई है। …बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।’
‘बांग्लादेश में लगातार निशाना बन रहे हिंदू…’
RSS के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने आगे कहा कि – ‘…बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की वजह राजनीतिक ही नहीं बल्कि धार्मिक भी है। हम बांग्लादेश के हिंदू वर्ग के साथ एकजुटता दिखाते हैं।
…हमने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता जताई है। हमें ये नहीं मानना चाहिए कि इस हिंसा की वजह सत्ता में बदलाव के चलते राजनीतिक ही है बल्कि इसका धार्मिक कारण भी है।
…अल्पसंख्यकों और हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। इस बार जो हिंसा हो रही है, उससे ऐसा लग रहा है कि इसे सरकार और सरकारी संस्थानों का भी समर्थन है। …वहां भारत विरोध बढ़ रहा है। अपने प्रस्ताव में हमने अंतरराष्ट्रीय ताकतों को लेकर भी चिंता जाहिर की है।’

RSS : बांग्लादेश में हिंदू आबादी 7.95 रह गई…
बांग्लादेश में जारी हिंसा और उसकी चपेट में लगातार आ रहे वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों की हालत पर RSS ने शनिवार को पहली बार खुलकर अपनी बात सार्वजनिक की है।
RSS ने पूरे मामले को गंभीर और चिंताजनक बताया है। RSS ने इसे मानवीय अधिकारों के खुले उल्लंघन तक का मसला बताया एवं उसे वहां की मौजूदा अंतरिम सरकार का समर्थन हासिल होने पर भी गंभीर चिंता जताई है।
RSS के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि – ‘…धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा कोई नई नहीं है। …साल 1951 में बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या 22 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 7.95 प्रतिशत रह गई है। …यह बड़ी गिरावट है।
…बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। संघ ने इसमें यूनाइटेड नेशन के दखल की मांग की है। …बांग्लादेश में भारत विरोध बढ़ रहा है। …अपने प्रस्ताव में हमने अंतरराष्ट्रीय ताकतों को लेकर भी चिंता जाहिर की है।
…भारत और इसके पड़ोसी देश सिर्फ देशों का समूह नहीं हैं बल्कि इनका साझा इतिहास है। …हमारे बीच बहुत कुछ समान है। …कई वैश्विक शक्तियां भारत और इसके पड़ोसी देशों के बीच अविश्वास पैदा करने की कोशिश कर रही हैं।’

बांग्लादेश हिंसा पर RSS के स्पष्ट विचारों के काफी गूढ़ हैं मायने..
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ लगातार जारी हिंसा की घटनाओं पर RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने शनिवार को पहली बार जिस स्तर पर अपनी तीखी और साफ प्रतिक्रिया दी है उसे मायने काफी गूढ़ बताए जा रहे हैं।
इसका असर भारत के अंदर की सियासत पर नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्कों ने जारी हालात से लेकर उन सब पर दुनिया के अलग-अलग देशों के नजरियों पर भी प्रभाव पड़ना लाजिमी है।
RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बंगलुरू में शुक्रवार से चल रही है। यह RSS में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। इसी की बैठक के दूसरे दिन RSS की ओर से दो अहम मुद्दों पर स्टैंड साफ किया गया है।
पहला मुद्दा देश में गरमा रहे परिसीमन का था और दूसरा बांग्लादेश का है। बता दें कि कि बांग्लादेश में बीते साल शेख हसीना सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद से ही वहां अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई।
हिंसा की इन घटनाओं पर कई देशों ने चिंता जाहिर की। भारत ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई। हालांकि इसके बावजूद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर बना हुआ है।