सिंगरौली: सरई तहसील अंतर्गत सुलियरी खदान में जबरन घुसकर उपद्रवियों ने दंगा फैलाने की साजिश को जिस तरह समय रहते सिंगरौली पुलिस ने समझदारी से नाकाम कर दिया का परिचय दिया, वह चर्चा का विषय बना हुआ है। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों के आक्रामक होने के कारण सब इंस्पेक्टर प्रियंका मिश्रा की आंख और चेहरे पर चोटें आईं। भीड़ को बेहद शांतिपूर्वक तरीके से नियंत्रित करने का प्रयास करने पर पथराव में कई अन्य पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया बल के सदस्यों को भी मामूली चोटें आईं। इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान उसके समर्थकों ने सरई तहसील अन्तर्गत सुलियरी कोयला खदान में पुलिस कर्मियों और त्वरित प्रतिक्रिया बल (Quick Response Force) पर पत्थर और कीचड़ बरसाकर खदान में जबरन घुसने की कोशिश की। दरअसल,झलरी और मझौली पाठ के सरपंचो और कुछ ग्रामीणों के मिलीभगत से मेधा पाटकर के आड़ में इस क्षेत्र में दंगा भड़काकर कर तनाव पैदा करना चाहते थे। पुलिस और संलग्न बल ने प्रतिबंधित खदान क्षेत्र खदान के दरवाजे पर ही संयम का परिचय देते हुए असामाजिक तत्वों को समझा बुझाकर एक बड़ी दुर्घटना के इरादे रखनेवालों की मंशा को विफल कर दिया।
हालांकि, कानून के रखवालों ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए चोटें लगने के बाद भी सरपंचो और उनके उपद्रवी साथियों को आक्रामकता के साथ जवाब देने से परहेज किया। इस घटना का वीडियो सिंगरौली में वायरल हो गया है और पुलिस कर्मियों के लचीलेपन की व्यापक सराहना हो रही है। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जब दंगाइयों को असुरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनाई गई तो भीड़ ने पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया बल के सदस्यों पर पथराव और कीचड़ फेंकना शुरू कर दिया। हैरानी की बात है की उपद्रवियों ने महिलाओ को आगे कर खदान में घुसने का प्रयास किया ! पुलिस भी इस घटना का वीडियो रिकॉर्डिंग करते नज़र आयी। ताजा जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने किसी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है, लेकिन पता चला है कि एपीएमडीसी की खदान के संचालन में बाधा डालने वाले उपद्रवियों की पहचान कर ली गई है।
मेधा पाटकर कुछ राजनीतिक नेताओं के साथ सुलियरी ब्लाॅक का विरोध करने के लिए गुरूवार सुबह एक दिवसीय दौरे पर सरई पहुंची थी। पुलिस ने कानून और व्यवस्था के हित में खनन परियोजना के समर्थकों को उनके ही गांव में प्रवेश करने से रोककर उन्हें पाटकर की भी सभा में जाकर शांतिपूर्ण अपना पक्ष रखने से रोका था। पाटकर के समर्थकों ने उसी पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया बल के जवानों पर शाम होते ही धाबा बोल दिया।
भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने मध्य प्रदेश की सुलियरी कोयला खदान को राज्य सरकार के आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम को आवंटित किया है। पिछले कुछ हफ्तों में कथित आंदोलनकारियों ने अपने निहित स्वार्थों के लिए सुलियारी खदान के काम में बाधाएं पैदा करना शुरू कर दिया है। स्थानीय लोग बाहरी लोगों के हस्तक्षेप की शिकायत कर रहे हैं जो उन्हें वैध रूर से चल रही खदान के खिलाफ गुमराह कर रहे है। सुलियरी खदान पिछले दो वर्षों से कोयला उत्पादन कर रही है। जिसके कारण सिंगरौली जिले में लगभग 5,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिले हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश की सरकार मध्य प्रदेश को हर महीना करोड़ों रुपये का राजस्व भी दे रही है।
पाटकर और उसके समर्थक जबरदस्ती उस खदान स्थल में घुसना चाहते थे जहां भारी मशीनरी काम कर रही थी। एक तरफ जब पुलिस की त्वरित सोच और शांतिपूर्ण रवैये की प्रशंसा हो रही है, तब देखना यह होगा की वह उचित उदाहरण स्थापित करने के लिए शरारती तत्वों द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाने के लिए अब क्या कार्यवाही करती है ताकि ऐसी घटना की भविष्य में पुनरावृति ना हो।