पश्चिम चंपारण: वृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज में सशस्त्र सीमा बल की 44वीं वाहिनी को इस वर्ष 15 हजार पौधरोपण का लक्ष्य रखा था। एसएसबी ने पौधरोपण अभियान के तहत 10240 पौधरोपण किया था और बाकि के 5450 पौधे को एसएसबी ने रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर कर अपने लक्ष्य को पूरा कर लिया। इस कार्यक्रम में वाहिनी के कमांडेंट बलवंत सिंह नेगी ने मियावाकी तकनीकी के बारे में बताते हुए कहा कि मियावाकी पद्धति वृक्षारोपण की एक जापानी विधि है। इसका प्रतिपादन प्रसिद्द जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी ने किया था।
इस पद्धति में पौधों को एक दूसरे से कम दुरी पर लगाया जाता है। पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं किन्तु सघनता के कारन नीचे उगने वाले खरपतवार को प्रकाश नहीं मिल पता है। यह पौधों की वृद्धि के लिए अच्छा है। इस पद्धति के अनुसार पौधों की तीन प्रजाति की सूची तैयार की जाती है जिनकी ऊंचाई अलग अलग हो। इसका कारण यह है कि वे एक दूसरे से कम से कम प्रतियोगिता करें। मियावाकी विधि 2 से 3 वर्षों के भीतर आत्मनिर्भर वनस्पति बनाने में मदद करती है जबकि एक पारंपरिक प्रक्रिया में लगभग 400 वर्ष लगते हैं।
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पश्चिम चंपारण से दीपक कुमार की रिपोर्ट
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