जेजे बोर्ड में स्थाई प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की 4 सप्ताह में नियुक्ति करे राज्य सरकार: HC

रांची: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड), चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडब्ल्यूसी) और राज्य बाल संरक्षण आयोग में रिक्त पदों के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में हुई। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जमशेदपुर में जेजे बोर्ड में स्थायी प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की नियुक्ति 4 सप्ताह के भीतर करें।

इसके अतिरिक्त, चाइल्ड वेलफेयर कमिटी और जेजे बोर्ड में रिक्त अन्य पदों को भी भरने का निर्देश कोर्ट ने दिया है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने शपथ पत्र दाखिल करके बताया है कि कार्यालय के सचिव ने कार्मिक विभाग को जमशेदपुर में स्थायी प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की नियुक्ति के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया है।

इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट की एक जनहित याचिका में आदेश के आलोक में जमशेदपुर में प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट का पद स्थापित किया जाए और इसे भरा जाए। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र द्वारा अध्यक्षता की गई खंडपीठ ने सरकार के जवाब के आधार पर मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को तय की है।

पूर्व की सुनवाई में प्रार्थी के वकील अनूप कुमार अग्रवाल ने कोर्ट को बताया है कि राज्य में जेजे बोर्ड में कुल 3691 लंबित केस हैं। इनमें से जेजे बोर्ड में सबसे ज्यादा केस रांची में 433 और जमशेदपुर में 561 हैं। प्रार्थी का दावा है कि राज्य में जेजे बोर्ड में कार्यरत मजिस्ट्रेट ही आधे समय जेजे बोर्ड में रहते हैं और आते समय में सिविल कोर्ट में कार्य करते हैं, जिससे जेजे बोर्ड का काम प्रभावित होता है।

इसलिए राज्य के जेजे बोर्ड में स्थायी प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने रांची और जमशेदपुर में स्थायी प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था। मामले में बचपन बचाओ आंदोलन के वकील अमित कुमार तिवारी ने पैरवी की है।

यह जानने लायक है कि पहले ही बताया गया था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड) और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडब्ल्यूसी) में अधिकांश पदों पर नियुक्ति हो चुकी है, लेकिन अब भी कई पद खाली हैं।

वहीं, राज्य बाल संरक्षण आयोग में अध्यक्ष और सदस्य के पद कई वर्षों से रिक्त हैं। पद खाली रहने के कारण आयोग ठीक से काम भी नहीं कर पा रहा है। प्रार्थी चंदन सिंह, बचपन बचाओ आंदोलन के वकील द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई है।

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