विधायक समरी लाल को निर्वाचन आयोग ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब

रांची : विधायक समरी लाल के विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में निर्वाचन आयोग ने

उन्हें नोटिस जारी किया है. आयोग ने उनसे 15 दिनों में जवाब मांगा है.

इस संबंध में सुरेश बैठा की ओर से स्पीकर को आवेदन दिया गया था.

राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग से मांगा था मंतव्य

स्पीकर ने आवेदन को राज्यपाल रमेश बैस को अग्रेषित करते कहा कि इस पर कार्यवाही की जा सकती है.

जिस पर राज्यपाल ने इस आवेदन पर निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा था.

उसके बाद आयोग ने समरी लाल को नोटिस जारी किया है.

बता दें कि जाति प्रमाण पत्र को लेकर उक्त आवेदन दिया गया है.

पूर्व में राज्य सरकार ने समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया है.

जांच समिति का कहना है कि वह दूसरे राज्य के होने के नाते राज्य में आरक्षण के हकदार नहीं है.

विधायक समरी लाल की जाति प्रमाणपत्र को किया गया निरस्त

याचिका में कहा गया है कि जाति छानबीन समिति ने एक अप्रैल 2022 को विधायक समरी लाल की

जाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया है.

समिति ने दस अगस्त 1950 से पहले की जाति प्रमाण से संबंधित दस्तावेज नहीं देने पर उनके जाति प्रमाणपत्र को निरस्त किया है. जबकि विधायक की ओर से सभी दस्तावेज और साक्ष्य समिति के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे. बिना उस पर विचार किए ही समिति ने इनके खिलाफ आदेश पारित कर दिया, जो नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है.

याचिका में ये कहा गया

यह भी कहा गया है कि समरी लाल भंगी उप जाति से आते हैं. उक्त जाति वर्ष 1956 के बाद आरक्षित श्रेणी में अधिसूचित की गई है. ऐसे में वर्ष 1950 के जाति प्रमाण पत्र से संबंधित दस्तावेज मांगना गलत है. इस मामले में समिति ने आरोप साबित करने के लिए किसी की गवाही भी दर्ज नहीं कराई है.

सुप्रीम कोर्ट ने वैसे जाति प्रमाणपत्र की जांच करने के लिए इस तरह की कमेटी बनाए जाने का आदेश दिया गया, जो जाति प्रमाणपत्र बनाए जाने में कोई जांच नहीं की गई थी. समरी लाल ने दावा किया है कि वह झारखंड में 1950 से भी पहले से रह रहे हैं. इसलिए वे स्थानीय हैं. ऐसे में जाति छानबीन समिति के आदेश को निरस्त कर देना चाहिए.

रिपोर्ट: प्रोजेश दास

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