राजा की रणनीति में थोड़ा बदलाव जरूर हुआ है लेकिन केंद्र बिंदु में अभी भी रानी है

राजा की रणनीति में थोड़ा बदलाव जरूर हुआ है लेकिन केंद्र बिंदु में अभी भी रानी है

रांची: कारागार से निकलते लगा राजा बदल गया है और गद्दी के मोह में रानी को भूलता चला जा रहा है लेकिन लगता नहीं राजा बदला है बस रणनीति बदली है केंद्र बिंदु में अभी भी रानी है, राजा दोबारा कारागार जा सकता है ऐसी उम्मीद राजा को भी है इसलिए राजा रानी को लेकर सेफ गेम खेल रहा है।

वह किसी भी हाल में गद्दी पर पकड़ कम नहीं करना चाहता 4 महीने बाद गद्दी की लड़ाई होनी है राजा अपने को मजबूत रखना चाहता है इसलिए रानी को अभी बचा कर रख रहा है समय पर रानी ही गद्दी पर आएगी।

राजा भी यही चाहता है कि विकट परिस्थिति में उसकी गद्दी को संभालने वाला कोई चाहिए जो उसका अपना हो रानी से बेहतर कौन हो सकती है राजा इस बात को अच्छे से समझ रहा है इसलिए राजा रानी को सब की नजर से बचा कर रख रहा है।

राजा के प्यादे अभी से लड़ रहे हैं जो गद्दी की लड़ाई होनी है उसमें सिपहसालार की भूमिका पर अभी से सबकी नज़रें हैं कौन होगा कितना होगा कितना अधिकार होगा और कितनी ताकत होगी उन सिपाही सालारों की अभी से उसको लेकर उलझन को दूर करने के लिए बैठकों का दौर जारी है पर यह उलझन बढ़ते जा रहे हैं।

सिपाह सलाहों की संख्या सीमित है पर दावेदार उससे दोगुनी राजा इन सब से कैसे निपटेगा यह तो आने वाला समय बताएगा पर राजा अभी न्याय के बड़े दरवाजे की ओर देख रहा है जिस मे अर्थ गुप्तचर विभाग ने अपील कर रखी है।

राजा चाहता है कि उसे अभी कम से कम से कम 6 महीने का मौका मिले जिससे वह गद्दी की लड़ाई पूरी ताकत से लड़े उसके बाद वह इस अर्थ गुप्तचर विभाग के अपील से भी निपट लेगा लेकिन आने वाला समय ये बतायेगा कि राजा अपनी लड़ाई के किस-किस सीमा पर विजय हासिल करता है।

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