पलामू: जेएसएससी परीक्षा में हेमंत सरकार ने भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा को शामिल किया है. इस निर्णय को मेदिनीनगर के विधानसभा सदस्य आलोक चौरसिया ने स्वागत योग्य बताया है. लेकिन उन्होंने पूर्व विधायक के.एन.त्रिपाठी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इस मामले में झूठ का ढिंढोरा पीट रहे हैं. वो कह रहे हैं कि उनके प्रयास से सरकार ने यह फैसला लिया है. आलोक ने कहा कि अगर त्रिपाठी इतने ही प्रभावशाली होते तो भोजपुरी, मगही और अंगिका को हटाने का फैसला सरकार लेती ही नहीं.
मेदिनीनगर विधायक ने बताया कि सरकार भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा को जेपीएससी की परीक्षा में क्षेत्रिय भाषा को हटाए जाने के बाद से ही वे सड़क से सदन तक विरोध दर्ज कराते नजर आए. विधायक ने कहा कि पूरे क्षेत्र में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मैंने मंच से मुख्यमंत्री से आग्रह किया. इन भाषाओं को जेएसएससी की क्षेत्रिय भाषा में नहीं शामिल किए जाने से पलामू प्रमंडल के लाखों युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया था.
सरकार के पूर्व के निर्णय से पलामू के बेरोजगार, सरकार के इस निर्णय से पलायन के लिए विवश हो जाते. सरकार का यह फैसला राज्य के लोगों के मन में भेदभाव पैदा करने वाला फैसला साबित हो रहा था. विधायक ने कहा कि सच तो यह है कि सरकार के इस फैसले से पलामू प्रमंडल झामुमो विधायक खुश नहीं थे. गढ़वा से झामुमो विधायक और सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर और लातेहार से झामुमो विधायक वैद्यनाथ राम अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता को समझा नहीं पा रहे थे. लेकिन युवाओं को यह समझ में नहीं आया कि आखिर सरकार ने लाखों युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने वाला फैसला क्यों लिया? आलोक ने कहा कि सरकार अपनी करकिरी और हमलोगों के विरोध के कारण भोजपुरी, मगही और अंगिका को जेएसएससी परीक्षा के क्षेत्रिय भाषा में शामिल करने पर बाध्य हो गयी है. जो कि सरकार का स्वागत योग्य निर्णय है. इस मौके पर सूरज पांडेय,नरेंद्र पांडेय,धर्मेंद्र उपाध्याय, रामलव चौरसिया,भीष्म चौरसिया महामंत्री श्याम बाबू, गुलाब भुइया, युगलकिशोर सिंह शिव यादव मौजूद रहे.
रिपोर्ट- संजीव