औरंगाबाद में भाजपा जीत की हैट्रिक लगा पाएगी या इस बार औरंगाबाद राजद के पाले में आएगी?

औरंगाबाद में भाजपा जीत की हैट्रिक लगा पाएगी या इस बार औरंगाबाद राजद के पाले में आएगी?

औरंगाबाद लोकसभा में कांग्रेस ने लंबे समय तक शासन किया सत्येंद्र नारायण सिन्हा यहां से 7 बार सांसद बने. लेकिन बीते दो टर्म से यहां भाजपा ने अपना परचम लहराया है.

2024 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा और राजद के बीच मुकाबला होने वाले है.

भाजपा ने मौजूदा सांसद सुशील कुमार सिंह को एक बार फिर मौका दिया है वहीं राजद ने अपना प्रत्याशी टिकारी से पूर्व विधायक अभय कुशवाहा को बनाया है.

औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के सामाजिक समीकरण पर गौर करें तो इस सीट पर सबसे अधिक वोटर राजपूत जाति के हैं, दूसरी नंबर पर यादव जाति के वोटर आते हैं वहीं मुस्लिम वोटर तीसरे नंबर पर हैं.

औरंगाबाद लोकसभा में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. जिसमें कुटुंबा, औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, इमामगंज, और टीकारी है.इन 6 सीटों पर 2 पर कांग्रेस , 2 राजद और 2 सीट पर हम का कब्जा है.

कुटुंबा में राजेश कुमार कांग्रेस के विधायक हैं औरंगाबाद से भी कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह विधायक हैं.

रफीगंज में मोहम्मद नेहालुद्दीन राजद से,गुरुआ से विनय यादव भी राजद के विधायक हैं. इमामगंज से जीतन राम मांझी हम से और टिकारी में अनिल कुमार भी हम से विधायक हैं.

औरंगाबाद सीट की इतिहास पर एक नजर डालें तो इस सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था.कांग्रेस अब तक औरंगाबाद सीट पर 8 बार जीत दर्ज कर चुकी है.

1952 में कांग्रेस के सत्येंद्र नारायण सिंहा ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की.

कांग्रेस ने 1957 में दूसरी बार भी जीत हासिल की और सत्येंद्र नारायण सिन्हा फिर से सांसद बने.

1961 में कांग्रेस ने जीत की हैट्रिक लगाई लेकिन इस बार रमेश प्रसाद सिंह सांसद बने.

मुंद्रिका सिंह ने 1962 में औरंगाबाद की सीट पर कांग्रेस को चौथी बार जीत दिलवाई.

1967 में महारानी ललिता राजलक्ष्मी ने कांग्रेस के विजय रथ को रोका. और स्वतंत्र पार्टी से सांसद बनी.

1971 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से वापसी की इस बार भी सत्येंद्र नारायण सिन्हा कांग्रेस के टिकट से जीते.

1977 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा जनता पार्टी के टिकट से जीते.

1980 के चुनाव में जनता पार्टी ने अपनी जीत दुहराई और सत्येंद्र नारायण सिन्हा एक बार फिर जीतकर दिल्ली पहुंचे.

1984 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने कांग्रेस के टिकट से जीता.

1989 में राम नरेश सिंह ने जनता दल के टिकट से चुनाव जीता.

1991 के चुनाव में एक बार फिर जनता दल से राम नरेश सिंह ने जीत हासिल की.

1996 में वीरेंद्र कुमार सिंह जनता दल का परचम एक बार और लहराया.

1998 में सुशील कुमार सिंह समता पार्टी से जीते.

1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने लंबे समय के बाद वापसी की और श्यामा सिंह सांसद बने.

2004 में कांग्रेस के निखिल कुमार जीतकर दिल्ली पहुंचे.

2009,2014 और 2019 के चुनाव में सुशील कुमार सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाई. 2009 में उन्होंने जदयू से जीता वहीं 2014 और 2019 में औरंगाबाद में भाजपा ने जीत दर्ज की.

अब 2024 के चुनाव में औरंगाबाद में भाजपा जीत की हैट्रिक लगा पाएगी या इस बार औरंगाबाद राजद के पाले में आएगी ये तो 4 जून को ही पता चल पाएगा.

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