Ranchi –1932- आप ही की देन है बाबा, मेरे अग्रज, देवतुल्य बाबा को कैसे भूल सकता था मैं..?
ये शब्द है झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के.
अपने फेसबुक पेज पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन की एक तस्वीर को साझा करते हुए उन्होंने लिखा है कि
बाबा ने ही समस्त झारखण्डी चेतना को जागृत करते हुए,
हमें हक और अधिकार के लिए लड़ना सिखाया.
उनसे मिलकर अभिभूत हूँ. कोटि- कोटि बार चरण स्पर्श.
बाबा का अतुल्य संघर्ष और बलिदान की देने– शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो
आज समस्त झारखण्ड वासी गौरव और सम्मान के साथ झूम रहे हैं..! बाबा इसमें आपका अतुल्य संघर्ष और बलिदान समाहित है.

लम्बी चली लड़ाई लेकिन जगरनाथ महतो ने नहीं खोया हौसला
यहां बतला दें कि जगरनाथ महतो 1932 के खतियान को लेकर काफी आशान्वित रहे हैं.
जब इस मामले को लेकर चारों तरफ निराशा के बादल छाये थें.
तब भी टाइगर जयराम महतो काफी आश्वस्त नजर आ रहे थें.
यह जयराम महतो का ही आत्मविश्वास था कि
जब विधान सभा में मुख्यमंत्री यह घोषणा कर रहे थें कि
1932 का खतियान को कोर्ट में लागू नहीं करवाया जा सकता,
तब भी जगरनाथ महतो का आत्मविश्वास नहीं डोला था
और विधान सभा से बाहर निकल कर यह घोषणा की थी कि लागू को 1932 का खतियान ही होगा,
और वह दिन भी आ गया और खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी घोषणा कर दी.
कैबिनेट से इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी गयी,
जाहिर है कि आज का दिन पूरे झारखंड के साथ ही जगरनाथ महतो के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण दिन है.
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