रांची: रांची जिले के नगड़ी में रिम्स-2 सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए प्रस्तावित भूमि को लेकर जमीन विवाद और अधिक गहराता जा रहा है। एक ओर सरकार इस भूमि को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के निर्माण हेतु चिन्हित मान रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीण इसे अपनी पुश्तैनी खेती योग्य जमीन बताते हुए वर्षों से खेती करते आ रहे हैं। इसी विवाद के बीच रविवार को नया मोड़ आ गया, जब सैकड़ों ग्रामीण परंपरागत खेती के औजारों – कुदाल, गैंता, सुप और बीजों के साथ खेत में पहुंचे।
लेकिन खेत में पहुंचने से पहले ही पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया। पुलिस ने स्पष्ट कहा कि यह जमीन सरकार की है और इस पर कोई भी कृषि गतिविधि नहीं करने दी जाएगी। इसके विरोध में गुस्साए ग्रामीणों ने पास की सड़क के किनारे मिट्टी डालकर उसी सड़क को खेत में बदल दिया और वहीं बीज बो दिए। यह विरोध प्रतीकात्मक ही नहीं, एक राजनीतिक और सामाजिक संदेश के रूप में सामने आया है, जिसमें ग्रामीणों की बेबसी और आक्रोश झलकता है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने उनके साथ धोखा किया है। उनका कहना है कि अगर इस जमीन पर उनका अधिकार है तो स्पष्ट रूप से उन्हें खेती करने की अनुमति दी जाए और अगर सरकार इसे अधिग्रहित कर चुकी है, तो मुआवजा क्यों नहीं दिया गया? साथ ही, जो कीमती समय उन्हें कृषि में देना चाहिए था, उसका नुकसान कौन भरेगा – सरकार या स्वास्थ्य मंत्री?
नगड़ी के ग्रामीणों का मानना है कि यदि भविष्य में सरकार किसानों के पक्ष में फैसला भी करती है, तो इस मौसम का नुकसान नहीं लौटाया जा सकता। उन्होंने सवाल किया कि बारिश का यह उपयुक्त समय अगर हाथ से निकल गया, तो उनकी सालभर की आय पर सीधा असर पड़ेगा।
सरकार जहां रिम्स-2 के निर्माण को स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा निवेश बता रही है, वहीं किसान कह रहे हैं कि अस्पताल के लिए अन्य वैकल्पिक जगहें मौजूद हैं। इस बीच पुलिस और ग्रामीणों के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है, और स्थानीय राजनीतिक दल भी मौके का फायदा उठाते दिख रहे हैं। लेकिन किसी भी पक्ष से समाधान की दिशा में ठोस पहल अभी तक नहीं हुई है।