Hazaribagh : झारखंड के महान आंदोलनकारी और पूर्व सीएम दिशोम गुरु शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। उनसे जुड़ी कई स्मृति आज जीवित है। लोग उन पलों को याद कर रहे हैं जो जिससे गुरु जी जुड़े हुए थे। हजारीबाग के रहने वाले शिवकुमार शिबू जो उनके मित्र थे आज उनके आंख से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है।
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Hazaribagh : तीर धनुष छाप पर एक साथ लड़ा था चुनाव
वे अपने दोस्त को यही कह रहे हैं कि वो भी उसे अपने साथ बुला लें, ताकि दोनों मित्र एक साथ मरणोपरांत भी रह सके। यह एक अटूट दोस्ती के वह शब्द है जिसे सुनकर हर एक व्यक्ति भावुक हो जाएगा। शिवकुमार शिव मूल रूप से मंडंई हजारीबाग के रहने वाले हैं। वर्तमान समय में वह कालीबाड़ी रोड स्थित अपने आवास में रहते हैं।
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1972 में जब शिबू सोरेन जरीडीह विधानसभा से चुनाव लड़े थे तो वे हजारीबाग विधानसभा से। दोनों का चुनाव चिन्ह तीर धनुष छाप था। उस वक्त अखिल भारतीय झारखंड पार्टी हुआ करती थी, जो बाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा का स्वरूप में आया। 1972 से दोनों की दोस्ती रही। गुरुजी और हजारीबाग के शिव कुमार शिबू ने एक साथ महाजन जुल्म के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
Hazaribagh : गुरुजी हमेशा शिक्षा पर जोर देते थे
जब भी गुरुजी हजारीबाग आते थे तो शिवा कुमार शिबू से उनकी मुलाकात कचहरी में होती थी क्योंकि शिवकुमार शिबू पैसे से वकील हैं। इन्होंने बताया कि उस वक्त एक नारा दिया गया था कि झारखंड की उच्च शिखर से बागे बागुन ने ललकारा है झारखंड वासियों होश में आओ झारखंड राज्य हमारा है। शिवकुमार शिबू बताते हैं कि गुरुजी हमेशा शिक्षा पर जोर देते थे। उनका कहना था कि जब तक झारखंड के लोग शिक्षित नहीं होंगे वे अपना अधिकार नहीं समझ पाएंगे, इस कारण हर एक व्यक्ति को शिक्षित होना जरूरी है।
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Hazaribagh : पूंजीपतियों के खिलाफ एक साथ उठाई आवाज
शिवकुमार शिबू शारीरिक रूप से अस्वस्थ है और वह बोलने में भी सक्षम नहीं है, फिर भी इन्होंने इस दौरान अपनी भावुकता जताते हुए कहा कि हेमंत सोरेन के ऊपर उनके पिता ने बड़ी जिम्मेदारी छोड़कर इस दुनिया से रुखसत हुए हैं। उनके सपने को साकार करना है। जमींदारी अभी भी अवशेष रुप से बचा हुआ है, पूंजीपति गरीबों का शोषण कर रहे हैं इसे खत्म करना जरूरी है।
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