सदर अस्पताल में चरमराई व्यवस्था, घंटों लाइन में लगना बना मजबूरी, आभा ऐप से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ने बढ़ायी मुसीबत
गोपालगंज : जिले के सबसे बड़े अस्पताल में प्रशासनिक उदासीनता से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई गई है। इलाज कराने आने वाले मरीजों को घंटों लंबी लाइन में खड़े रहना पड़ता है। ऑनलाइन नंबर लगाने की प्रक्रिया गरीब मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना।
OPD में रोजाना आते हैं 1000 से 1200 मरीज, 3 डाटा आपरेटर्स के भरोसे है व्यवस्था
आपको बता दें कि अस्पताल में रोजाना 1000 से 1200 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। लेकिन इतने बड़े संख्या के बावजूद केवल दो से तीन डाटा एंट्री ऑपरेटर ही मरीजों का ऑनलाइन वेरिफिकेशन कर रहे हैं। इससे मरीजों की भीड़ बढ़ जाती है और अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी की स्थिति बन जाती है।
कम काउंटर से और बढ़ी परेशानी
ग्रामीण मरीजों का कहना है कि उनके पास न तो स्मार्टफोन है न ही इंटरनेट की सुविधा। ऐसे में आभा ऐप से नंबर बुक करना उनके लिए बेहद मुश्किल है। वहीं अस्पताल परिसर में वेरिफिकेशन काउंटरों की भारी कमी है।
पैरवी पुत्रों ने और बढ़ाई परेशानी
वहीं सबसे चिंताजनक बात यह है कि सदर अस्पताल में पदस्थापित कई डाटा ऑपरेटर राजनीतिक प्रभाव और परिचय के दम पर अपने मूल पदस्थापना स्थल को छोड़कर कलेक्ट्रेट और अन्य सरकारी दफ्तरों में संविदा के नाम पर काम कर रहे हैं। यह सिलसिला वर्षों से जारी है लेकिन विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
इलाज के लिए घंटों करना पड़ता है इंतजार
अस्पताल में डॉक्टरों की भी भारी कमी बनी हुई है। सीमित चिकित्सक और स्टाफ के कारण मरीजों की भीड़ संभालना मुश्किल हो जाता है। परिणामस्वरूप आम जनता को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है।
नेताओं के बड़े- बड़े चुनावी वादों की निकली हवा
मरीजों और उनके परिजनों ने कहा कि चुनाव के वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं। लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
सदर अस्पताल में इतनी लंबी लाइन क्यों लग रही है?
रोजाना 1000 से 1200 मरीज आते हैं, लेकिन सीमित डाटा ऑपरेटर और काउंटर होने से भीड़ बढ़ जाती है।
आभा ऐप से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन गरीब मरीजों के लिए परेशानी क्यों बना?
ग्रामीण मरीजों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की कमी है, जिससे ऑनलाइन बुकिंग उनके लिए मुश्किल बन गई है।
डेटा ऑपरेटरों की कमी से क्या असर पड़ रहा है?
कम ऑपरेटरों और पैरवी से काम प्रभावित हो रहा है, जिससे भीड़ और अव्यवस्था बढ़ गई है।
इलाज में इतनी देरी क्यों हो रही है?
डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की क्या भूमिका रही?
लंबे समय से अव्यवस्था पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे जनता परेशान है।
वीडियों देखे :
जनता की पीड़ा से प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग उदासीन
इलाज करने आए मरीजों के माने तो जनता सिर्फ वोट देने और लाइन में धक्का खाने के लिए रह गई है। सुविधा किसी को नहीं मिल रही। जनता की यह पीड़ा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
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शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट
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