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Sunday, October 12, 2025
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Jharkhand Corruption Update: शराब और जमीन घोटाले में ACB की जांच तेज, विनय सिंह को मिली जमानत से बढ़ी सख्ती

झारखंड में एसीबी ने शराब और जमीन घोटाले की जांच तेज कर दी है। विनय सिंह की जमानत के बाद एसीबी अब अपने अफसरों की भूमिका भी जांच रही है। 198 फाइलें जब्त की गईं।Jharkhand Corruption Update :  झारखंड में चल रहे शराब घोटाला और हजारीबाग जमीन घोटाले में अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने अपनी जांच और तेज कर दी है। एसीबी को इन मामलों में कई नई जानकारियां मिली हैं। सूत्रों के मुताबिक, विनय सिंह की तलाश में दिल्ली गई एसीबी की टीम ने कार्रवाई में लापरवाही बरती थी, जिसके कारण उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी। इस चूक...

कोहरे का असर: Swarn Jayanti Express 1 दिसंबर से 27 फरवरी तक रहेगी रद्द

झारखंड से दिल्ली जाने वाली स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस ट्रेन कोहरे की संभावना को देखते हुए 1 दिसंबर 2025 से 27 फरवरी 2026 तक रद्द रहेगी। रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।कोहरे का असर : आगामी जाड़े के मौसम में घने कोहरे की आशंका को देखते हुए भारतीय रेलवे ने एक अहम कदम उठाया है। रेलवे ने स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस के परिचालन को अस्थायी रूप से रद्द करने का निर्णय लिया है। यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेनों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।Key Highlights: घने कोहरे की संभावना...

Jharkhand Electricity Update:नेगेटिव बैलेंस के कारण 5243 उपभोक्ताओं की बिजली कटी 

झारखंड में 5243 बिजली उपभोक्ताओं का कनेक्शन निगेटिव बैलेंस के कारण काटा गया। JBVNL ने कहा—बिल भरते ही कनेक्शन स्वतः चालू हो जाएगा, किश्त में भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध।Jharkhand Electricity Update : JBVNL ने निगेटिव बैलेंस वाले उपभोक्ताओं पर सख्ती शुरू कर दी है। शनिवार को विद्युत आपूर्ति अंचल रांची के 5243 उपभोक्ताओं का बिजली कनेक्शन डिस्कनेक्ट कर दिया गया। ये सभी उपभोक्ता ऐसे थे जिनके खातों में बकाया बिजली बिल की राशि निगेटिव बैलेंस में थी। वहीं, जिन उपभोक्ताओं ने बकाया राशि का ऑनलाइन या ऑफलाइन भुगतान किया, उनका कनेक्शन स्वतः पुनः चालू हो गया। निगम ने स्पष्ट...

सदर अस्पताल में चरमराई व्यवस्था, घंटों लाइन में लगना बना मजबूरी, आभा ऐप से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ने बढ़ायी मुसीबत

सदर अस्पताल में चरमराई व्यवस्था, घंटों लाइन में लगना बना मजबूरी, आभा ऐप से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ने बढ़ायी मुसीबत

गोपालगंज : जिले के सबसे बड़े अस्पताल में प्रशासनिक उदासीनता से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई गई है। इलाज कराने आने वाले मरीजों को घंटों लंबी लाइन में खड़े रहना पड़ता है। ऑनलाइन नंबर लगाने की प्रक्रिया गरीब मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना।

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OPD में रोजाना आते हैं 1000 से 1200 मरीज, 3 डाटा आपरेटर्स के भरोसे है व्यवस्था

आपको बता दें कि अस्पताल में रोजाना 1000 से 1200 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। लेकिन इतने बड़े संख्या के बावजूद केवल दो से तीन डाटा एंट्री ऑपरेटर ही मरीजों का ऑनलाइन वेरिफिकेशन कर रहे हैं। इससे मरीजों की भीड़ बढ़ जाती है और अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी की स्थिति बन जाती है।

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कम काउंटर से और बढ़ी परेशानी

ग्रामीण मरीजों का कहना है कि उनके पास न तो स्मार्टफोन है न ही इंटरनेट की सुविधा। ऐसे में आभा ऐप से नंबर बुक करना उनके लिए बेहद मुश्किल है। वहीं अस्पताल परिसर में वेरिफिकेशन काउंटरों की भारी कमी है।

पैरवी पुत्रों ने और बढ़ाई परेशानी

वहीं सबसे चिंताजनक बात यह है कि सदर अस्पताल में पदस्थापित कई डाटा ऑपरेटर राजनीतिक प्रभाव और परिचय के दम पर अपने मूल पदस्थापना स्थल को छोड़कर कलेक्ट्रेट और अन्य सरकारी दफ्तरों में संविदा के नाम पर काम कर रहे हैं। यह सिलसिला वर्षों से जारी है लेकिन विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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इलाज के लिए घंटों करना पड़ता है इंतजार

अस्पताल में डॉक्टरों की भी भारी कमी बनी हुई है। सीमित चिकित्सक और स्टाफ के कारण मरीजों की भीड़ संभालना मुश्किल हो जाता है। परिणामस्वरूप आम जनता को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है।

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नेताओं के बड़े- बड़े चुनावी वादों की निकली हवा

मरीजों और उनके परिजनों ने कहा कि चुनाव के वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं। लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

सदर अस्पताल में इतनी लंबी लाइन क्यों लग रही है?

रोजाना 1000 से 1200 मरीज आते हैं, लेकिन सीमित डाटा ऑपरेटर और काउंटर होने से भीड़ बढ़ जाती है।

आभा ऐप से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन गरीब मरीजों के लिए परेशानी क्यों बना?

ग्रामीण मरीजों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की कमी है, जिससे ऑनलाइन बुकिंग उनके लिए मुश्किल बन गई है।

डेटा ऑपरेटरों की कमी से क्या असर पड़ रहा है?

कम ऑपरेटरों और पैरवी से काम प्रभावित हो रहा है, जिससे भीड़ और अव्यवस्था बढ़ गई है।

इलाज में इतनी देरी क्यों हो रही है?

डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की क्या भूमिका रही?

लंबे समय से अव्यवस्था पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे जनता परेशान है।

वीडियों देखे :

जनता की पीड़ा से प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग उदासीन

इलाज करने आए मरीजों के माने तो जनता सिर्फ वोट देने और लाइन में धक्का खाने के लिए रह गई है। सुविधा किसी को नहीं मिल रही। जनता की यह पीड़ा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

ये भी पढ़े : बीजेपी चुनाव कार्य समिति की बैठक शुरू, धर्मेंद्र, तावड़े, केशव, दिलीप व सम्राट सहित कई नेता मौजूद

शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट

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