झारखंड में गोवर्धन पूजा, चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाए जाएंगे। रांची में सोहराई पर्व की धूम, हेहल में जतरा महोत्सव का आयोजन, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व।
Deepawali के बाद Jharkhand में धार्मिक रंग रांची: दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा, चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज तीनों पर्व भारतीय संस्कृति, पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम हैं। ये पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि प्रेम, कर्तव्य, न्याय और आभार की भावना को भी उजागर करते हैं।
Deepawali के बाद Jharkhand में धार्मिक रंग: गोवर्धन पूजा
इस वर्ष बुधवार, 23 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा करने की स्मृति में यह पूजा की जाती है। इस दिन अन्नकूट का भोग लगाया जाता है और गाय-गोवंश की पूजा का विशेष महत्व होता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:26 से 08:42 और शाम 15:29 से 17:44 तक रहेगा। इस समय पूजा करने से समृद्धि और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
Key Highlights:
23 अक्टूबर को Govardhan Puja, Chitragupt Puja और Bhai Dooj एक साथ मनाए जाएंगे
Govardhan Puja का शुभ मुहूर्त सुबह 06:26 से 08:42 और शाम 15:29 से 17:44 तक
Chitragupt Puja व Bhai Dooj का अपराह्न मुहूर्त 13:13 से 15:28 तक
रांची में Sohray पर्व पर मवेशियों की पूजा, ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक उत्सव
हेहल में Sohray Jatra Mahotsav, मंत्री चमरा लिंडा और विधायक नवीन जायसवाल होंगे अतिथि
Deepawali के बाद Jharkhand में धार्मिक रंग: चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज
23 अक्टूबर को ही चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज दोनों पर्व मनाए जाएंगे। बंग समुदाय में यह दिन भाई फोटा के रूप में भी मनाया जाता है।
चित्रगुप्त पूजा न्याय और धर्मपालन के देवता भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है, जो मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इस दिन कलम-दवात और लेखन साधनों की पूजा शुभ मानी जाती है।
भाई दूज भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा के बंधन का पर्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। इस दिन बहन द्वारा भाई को तिलक लगाना और आरती उतारना शुभ माना गया है।
Deepawali के बाद Jharkhand में धार्मिक रंग: रांची में सोहराई पर्व
रांची और आसपास के क्षेत्रों में मंगलवार को आदिवासी और मूलवासी समुदायों ने सोहराई पर्व बड़े उत्साह से मनाया। पिस्का मोड़, हरमू, धुर्वा, कोकर और बरियातू सहित कई इलाकों में मवेशियों को स्नान कर तेल और सिंदूर लगाया गया, फिर आटे और रंग से पारंपरिक डिज़ाइन बनाए गए।
पूजा के बाद मवेशियों को डुंबू, उरद, चना आदि विशेष पकवान खिलाए गए। गांवों में ढोल-नगाड़े बजाकर मवेशियों को घुमाया गया। समाजसेवी शिवा कच्छप ने बताया कि सोहराई इंसान और मवेशियों के आपसी संबंध और कृतज्ञता का पर्व है।
Deepawali के बाद Jharkhand में धार्मिक रंग: हेहल में सोहराई जतरा महोत्सव
बुधवार को हेहल जतरा मैदान में सोहराई जतरा महोत्सव का आयोजन होगा। इसमें एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग शामिल होंगे। मुख्य अतिथि के रूप में मंत्री चमरा लिंडा और विशिष्ट अतिथि विधायक नवीन जायसवाल मौजूद रहेंगे। आयोजन की तैयारी समिति के अध्यक्ष अजीत कच्छप और महासचिव दिनेश उरांव के नेतृत्व में की जा रही है।
Highlights