Bihar Chunav 2025 : सरकारी कर्मियों के लिए खबर, सोशल मीडिया पर खुलेआम किसी पार्टी या नेता का समर्थन पड़ेगा भारी
Bihar Chunav 2025 : राज्य सरकार के अधीन नौकरी या संविदा पर कार्यरत कर्मियों के लिए बड़ी खबर है। बिहार विधानसभा चुनाव में आचार संहिता उल्लंधन मामले में प्रशासन ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। ताजा मामला आंगनबाड़ी सेविका की बर्खास्तगी और तीन शिक्षकों के निलंबन से संबंधित है। जिसके तहत पटना में आंगनबाड़ी सेविका को बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं सारण में तीन शिक्षकों के निलंबन का मामला सामने आया है।
RJD प्रत्याशी का समर्थन आंगनबाड़ी सेविका को पड़ा भारी, नौकरी से बर्खास्त
आंगनबाड़ी सेविका सेविका कुमारी रंजना (पति मृत्युंजय यादव) ने अपने फेसबुक पेज से दानापुर से प्रत्याशी रीतलाल के समर्थन में प्रचार किया था। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और बाद में राजद प्रत्याशी के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से भी साझा किया गया। जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने अनुशंसा के आधार पर रंजना को सेवा से बर्खास्त कर दिया। प्रशासन ने कहा कि इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों से सरकारी सेवा की निष्पक्षता पर सवाल उठता है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सारण जिले की 3 शिक्षकों पर गिरी गाज, DM ने किया निलंबित
वहीं सारण जिले में तीन शिक्षकों को भी निलंबित किया गया है। माध्यमिक शिक्षक दीपक कुमार (उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, परसा) पर आरोप है कि वे 119 गड़खा विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी सविता देवी के पक्ष में सोशल मीडिया और व्हाट्स एप ग्रुपों पर प्रचार कर रहे थे। वहीं दूसरा मामला तरैया प्रखंड के मैकडोनाल्ड उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, देवरिया के शिक्षक सुरेंद्र प्रसाद यादव को चुनाव क्षेत्र में गांव-गांव घूमकर मिथिलेश राय के पक्ष में वोट मांगते देखा गया।तीसरा मामला दरियापुर के उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पिरारीडीह के शिक्षक राजेश कुमार तिवारी का है जो सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट और टिप्पणियां साझा कर रहे थे।
दीपक कुमार को बिहार नगर निकाय माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय सेवा नियमावली 2020 की कंडिका 20 के तहत तो निलंबित किया गया है। जबकि सुरेंद्र कुमार को विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2024 के तहत निलंबित कर दिया गया। बिहार विद्यालय अध्यापक नियमावली-2023 और सरकारी सेवक नियंत्रण एवं अपील नियमावली-2005 के तहत निलंबित किया गया है। इस दौरान उन्हें 50 प्रतिशत जीवन निर्वहन भत्ता मिलेगा।
प्रशासन का स्पष्ट निर्देश, सरकारी कर्मचारी तटस्थ रहे
जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि चुनावी अवधि में किसी भी सरकारी या अर्धसरकारी कर्मी द्वारा किसी दल या प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करना आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह व्यक्ति किसी भी पद या विभाग से जुड़ा हो। यह कार्रवाई चुनाव आयोग की उस नीति को भी दोहराती है, जिसके तहत सरकारी सेवकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तटस्थ रहना अनिवार्य है।
DM का सख्त संदेश- निष्पक्षता से समझौता नहीं
प्रशासन की ओर से कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक निष्पक्षता का प्रतीक माना जाता है। चुनावी प्रक्रिया में उनकी राजनीतिक भागीदारी लोकतंत्र की साख को कमजोर कर सकती है। उन्होंने कहा कि आचार संहिता के उल्लंघन पर अब शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी। सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक प्रचार से दूर रहना होगा, वरना कड़ी कार्रवाई तय है।
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