अक्षय नवमी की व्रत कथा, भगवान विष्णु का मिलता है आशीर्वाद, धन में होती है अक्षय वृद्धि
पटना : अक्षय नवमी को हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा और दान-पुण्य के बाद पेड़ के नीचे भोजन बना कर ग्रहण करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

कब है अक्षय नवमी
देवोत्थान एकादशी से दो दिन पहले यानि कार्तिक मास की नवमी को अक्षय नवमी मनायी जाती है। इस बार तिथी को लेकर असमंजस की स्थिति है क्योंकि नवमी तिथी गुरूवार को सुबह 10 बज कर छह मिनट से लेकर शुक्रवार को 10 बजकर तीन मिनट तक है। इसको लेकर असमंजस की स्थिति है। शास्त्रों के अनुसार, उदया तिथि ही मान्य है इसलिए 31 अक्टूबर को ही नवमी मनाई जाएगी।
भगवान विष्णु का प्रिय फल है आंवला
आंवले को भगवान विष्णु का प्रिय फल माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है। आंवले के पेड़ की परिक्रमा, पूजन और भोजन बना कर ग्रहण करने की परंपरा है।
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